मध्य प्रदेश: हाल के दिनों में युवा पीढ़ी के बीच गांजे के नशे का बढ़ता आकर्षण एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। यह प्रवृत्ति न केवल व्यक्तियों के स्वास्थ्य के लिए घातक है, बल्कि समाज के ताने-बाने को भी नुकसान पहुंचा रही है।
नशा मुक्ति केंद्रों और स्थानीय स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, कम उम्र के लड़के-लड़कियां तेजी से गांजे की लत का शिकार हो रहे हैं। सोशल मीडिया और साथियों का दबाव (पीयर प्रेशर) इसके मुख्य कारणों में से एक माना जा रहा है। इसके अलावा, तनाव, अकादमिक दबाव और भविष्य की अनिश्चितता भी युवाओं को नशे की ओर धकेल रही है।
क्यों है गांजा इतना घातक?

गांजे का सेवन केवल क्षणिक आनंद नहीं देता, बल्कि इसके दीर्घकालिक और गंभीर परिणाम होते हैं:
- शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: गांजे के नियमित सेवन से फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है, श्वसन संबंधी बीमारियां होती हैं और हृदय गति पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह मस्तिष्क के विकास को भी प्रभावित कर सकता है, खासकर किशोरावस्था में।
- मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: गांजा मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसे चिंता, अवसाद और यहां तक कि मनोविकृति (साइकोसिस) को भी बढ़ा सकता है। यह निर्णय लेने की क्षमता और याददाश्त को भी कमजोर करता है।
- सामाजिक और आर्थिक प्रभाव: नशे की लत के कारण युवा अपनी पढ़ाई और करियर पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते, जिससे उनका भविष्य अंधकारमय हो जाता है। यह आपराधिक गतिविधियों में लिप्त होने की संभावना को भी बढ़ाता है और परिवारों पर आर्थिक बोझ डालता है।
रोकथाम और समाधान की आवश्यकता
इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए समाज के हर वर्ग को मिलकर काम करने की जरूरत है।

एक वक्त था जब लोग हल्के नशे के लिए सिर्फ तंबाकू का सेवन करते थे,फिर आया बीड़ी का युग,तेंदूपत्ता में लिपटी तम्बाकू विशेष रूप से मजदूर वर्ग में काफी अहमियत रखती थी,पहला कारण धुएं के रूप में सस्ता नशा,और रोजगार का सबसे बड़ा साधन भी था।

हर शहर हर गांव में बीड़ी बनाई जाती थी और उस समय बीडी पीने वाले को तादाद बहुत थी,नशा करने वाले,गरीब अमीर सभी बीड़ी का नशा करते थे।फिर धीरे से बीडी अपडेट होकर सिगरेट के रूप में आ गई,खाकी चोला छोड़ तम्बाकू सफेद लिबास में अमीरों की पसंद बन गई। धीमे धीमे सिगरेट ने पूरे बाजार पर कब्जा कर लिया,बीड़ी चलन से बाहर हो गई,और अपने साथ गरीबों का रोजगार भी छीन गया।

हालाकि बीड़ी का बाजूद अभी भी बरकरार हे और सिगरेट का बाजार गर्म तो नहीं पर कुनकुना हो गया है।कहते है समय के साथ हर चीज परिवर्तित हो जाती हे,आजकल युवा पीढ़ी सस्ते नशा के लिए गांजे आदि की और आकर्षित हे,वही खांसी की दवाई में मिले एल्कोहल के चलते युवाओं की पसंद बना हुआ है।गांजा पीने पारंपरिक चिलम की जगह कागज के फिल्टर लगे पाइप बाजार में उपलब्ध हे।यह बदलाव युवा पीढ़ी को बहुत भारी पड़ने वाला हे,क्योंकि तंबाकू एक समय बाद बीमारियों को लेकर आती हे,लेकिन गांजा तत्काल में सनकी,उद्दंड,मतवाला और अपने में ही खोए रहने वाला बना रहा है।तनाव अथवा शौक में गांजे का सेवन करने वाली युवा पीढ़ी सोचने समझने की अपनी क्षमता दिन ब दिन क्षीण करती जा रही हे जिससे रोजगार और पारिवारिक के साथ सामाजिक रिश्ते भी प्रभावित होकर रहेंगे।
