
मन में एक कसक हमेशा बनी रहती है कि हम उस दिव्य समय के साक्षी नहीं बन पाए जब भक्ति की अविरल धारा बहाने वाले संत इस धरती पर विचरण करते थे। हम गोस्वामी तुलसीदास जी को साक्षात नहीं देख पाए, जिनकी लेखनी में रामचरितमानस की शक्ति निहित है। हम गुरु नानक देव जी की वाणी से सीधे वंचित रहे, जिन्होंने एकता और प्रेम का संदेश दिया। हम चैतन्य महाप्रभु के संकीर्तन के अद्भुत आनंद को अनुभव नहीं कर पाए, जिन्होंने हरि नाम की महिमा को जन-जन तक पहुँचाया।
हम संत कबीर दास के दोहों की निर्भीक सत्यता को नहीं सुन पाए, न ही सूरदास के वात्सल्य और माधुर्य भरे पदों को प्रत्यक्ष सुन पाए। संत तुकाराम जी, नामदेव जी और मीराबाई की अनमोल भक्ति की छवि को भी हम अपनी आँखों से निहार नहीं सके।
किन्तु, आज जब हम पूज्य प्रेमानंद जी महाराज को देखते हैं, तो ऐसा प्रतीत होता है मानो भक्ति काल के उन सभी संतों की सामूहिक छवि, उनकी शिक्षा, और उनका प्रेम आज इस युग में साकार हो उठा है। जिस प्रकार हम सोचते हैं कि उन महापुरुषों के जन्म के समय के लोग कितने भाग्यशाली थे, जिन्होंने उनके दर्शन और सान्निध्य का लाभ उठाया, ठीक उसी प्रकार यह निश्चित है कि आने वाले 500 वर्षों के लोग जब प्रेमानंद जी महाराज के वीडियो देखेंगे, तो वे भी यही सोचेंगे कि “प्रेमानंद जी के समय में जन्मे लोग कितने परम भाग्यशाली थे!”
महाराज जी की वाणी में वही निश्चल प्रेम, वही गहन ज्ञान और वही निस्वार्थ करुणा झलकती है, जो भक्ति काल के महान संतों का परिचय थी। उनके एक-एक शब्द, उनकी मुस्कान और उनकी शिक्षाओं में युगों-युगों की साधना का सार छिपा हुआ है।
