जन्ममाष्टमी पर्व मनाने को लेकर भक्तों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है,इस भ्रम को दूर करने संतों में अलग अलग मत है।लेकिन मलूक पीठाधीस्वर पूज्य संत राजेंद्र दास जी का कहना है कि 16 अगस्त को अष्टमी तिथि हे लेकिन 17 को रोहिणी नक्षत्र हे,अलग अलग धर्म स्थानों और संप्रदाय की अलग अलग मान्यता हे।

कोई तिथि के हिसाब से 16 अगस्त को को मना रहा है और जो नक्षत्र को प्रधानता देते है वह 17 अगस्त को मना रहे है,मलूक पीठ से 17 तारीख को रोहिणी नक्षत्र में मनाए जाने की सूचना सोशल मीडिया पर दी गई है। हम तो दोनों ही दिन मना रहे है,बाकी भक्तजन भ्रमित नहीं हो जिसकी जैसी मान्यता हो वह स्वतंत्र है।
वही उज्जैन के ज्योतिषाचार्य नरेंद्र शास्त्री बता रहे है कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व आज 16 अगस्त में मनाया जाएगा, इस वर्ष बिना रोहणी नक्षत्र के मनानी होगी श्री कृष्ण जन्माष्टमी

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, लेकिन कई बार ऐसी स्थिति बन जाती है कि अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र दोनों एक ही दिन नहीं होते है ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि इस बार भी कृष्ण जन्म की तिथि और नक्षत्र एक साथ नहीं मिल रहे हैं 15 अगस्त को रात्रि 11 बजकर 59 मिनट के बाद अष्टमी तिथि का आरंभ हो गया है जो 16 अगस्त को रात्रि 9 बजकर 35 मिनट तक रहेगी, वहीं रोहिणी नक्षत्र का आरंभ 17 अगस्त को सुबह 4 बजकर 39 मिनट से होगा ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के फलकथन अनुसार जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त शनिवार में मनाया जाएगा।
16 अगस्त में व्रत और श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व
ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि हम सभी के लिए 16 अगस्त शनिवार को व्रत रखना चाहिए, 16 अगस्त को उदयातिथि में अष्टमी तिथि रहेगी और रात्रि 9:35 के बाद नवमी तिथि लग जाएगी, इस दिन अष्टमी और नवमी दोनो रहेंगी, साथ उस दिन कृतिका नक्षत्र बन रहा है, जन्माष्टमी को लेकर जब विचार किया जाता है तो रोहिणी नक्षत्र का ध्यान अवश्य रखा जाता है, लेकिन इस बार 15 और 16 अगस्त दोनों ही दिन रोहिणी नक्षत्र का संयोग नहीं बन पा रहा है, पुष्पांजलि पंचांग और संकट मोचन पंचांग के अनुसार, 16 अगस्त को कृत्तिका नक्षत्र देर रात 04.39 तक रहेगा, इसके बाद रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ होगा, इसलिए इस बार जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र का संयोग भी नहीं रहेगा, इसलिए 16 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का पर्व मनाया जाएगा।
मथुरा-वृंदावन में आज 16 अगस्त को मनेगी श्री कृष्ण जन्माष्टमी
ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि मथुरा-वृंदावन में सालों से पंरपरा रही है कि भगवान कृष्ण जन्माष्टमी के जन्मोत्सव सूर्य उदयकालिक और नवमी तिथि विद्धा जन्माष्टमी मनाने की परंपरा है इसलिए 16 अगस्त में ही श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा, गृहस्थ संप्रदाय के लोग कृष्ण जन्माष्टमी मनाते हैं और वैष्णव संप्रदाय के लोग कृष्ण जन्मोत्सव मनाते हैं, जन्माष्टमी को मनाने वाले दो अलग-अलग संप्रदाय के लोग होते हैं, स्मार्त और वैष्णव इनके विभिन्न मतों के कारण दो तिथियां बनती हैं। स्मार्त वह भक्त होते हैं जो गृहस्थ आश्रम में रहते हैं। यह अन्य देवी-देवताओं की जिस तरह पूजा-अर्चना और व्रत करते हैं, उसी प्रकार कृष्ण जन्माष्टमी का धूमधाम से उत्सव मनाते हैं। उसी प्रकार वैष्णव जो भक्त होते हैं वे अपना संपूर्ण जीवन भगवान कृष्ण को अर्पित कर देते हैं। उन्होंने गुरु से दीक्षा भी ली होती है और गले में कंठी माला भी धारण करते हैं। जितनी भी साधु-संत और वैरागी होते हैं, वे वैष्णव धर्म में आते हैं।
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