Saturday, October 25, 2025
Homeज्योतिषशरद पूर्णिमा/इस दिन खीर खाने के इतने लाभ होते है।बता रहे बालकृष्ण...

शरद पूर्णिमा/इस दिन खीर खाने के इतने लाभ होते है।बता रहे बालकृष्ण महाराज

शरद पूर्णिमा: अमृत वर्षा और महालक्ष्मी की कृपा का पर्व

पंडित बालकृष्ण शास्त्री श्रीधाम वृंदावन

रहली।शरद पूर्णिमा का त्योहार आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह रात वर्ष की सबसे महत्वपूर्ण और शुभ रातों में से एक होती है। इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है और उसकी किरणें पृथ्वी पर अमृत की वर्षा करती हैं।
शरद पूर्णिमा का आध्यात्मिक महत्व
पंडित बालकृष्ण शास्त्री वृंदावन ने बताया कि
शरद पूर्णिमा का आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व बहुत गहरा है:

  • अमृत वर्षा: ऐसी मान्यता है कि इस रात चंद्रमा की किरणों में औषधीय गुण होते हैं और वे अमृत के समान होती हैं। इसलिए इस दिन चाँदनी में रखी खीर को स्वास्थ्य, दीर्घायु और सौभाग्य के लिए शुभ माना जाता है।
  • महालक्ष्मी का पृथ्वी पर भ्रमण: नारद पुराण के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी उल्लू पर सवार होकर पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं। इसे कोजागरी पूजा भी कहते हैं। इस दिन देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा करने से धन, वैभव, यश और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
  • श्रीकृष्ण का महारास: शास्त्रों के अनुसार, इसी रात भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन में राधा और गोपियों के साथ महारास किया था। इसलिए यह तिथि राधा-कृष्ण के भक्तों के लिए भी विशेष महत्व रखती है।
  • चंद्र दोष निवारण: जिनकी कुंडली में चंद्रमा पीड़ित होता है, उनके लिए इस दिन चंद्रमा की पूजा करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। यह व्रत और पूजा दांपत्य जीवन में मधुरता लाती है।
    पूजा की विधि
    शरद पूर्णिमा के दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा की जाती है।
  • स्नान और संकल्प: सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें या घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर व्रत और पूजा का संकल्प लें।
  • देवी-देवताओं की पूजा: एक चौकी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। उन्हें सुंदर वस्त्र, फल, फूल (विशेषकर कमल का फूल), अक्षत, धूप, दीप आदि अर्पित करें।
  • खीर का भोग और चंद्रमा को अर्घ्य: गाय के दूध से खीर बनाकर भोग तैयार करें।
  • शाम के समय, चंद्रोदय होने पर एक लोटे में पानी, दूध, चावल और सफेद फूल डालकर चंद्रमा को अर्घ्य दें।
  • अर्घ्य देते समय चंद्र देव के मंत्रों का जाप करें।
  • खुले आसमान के नीचे खीर: इस खीर को रात भर खुले आसमान के नीचे चाँदनी में रखें, ताकि चंद्रमा की किरणें इस पर पड़ें। इसे मिट्टी के बर्तन में रखना सबसे उत्तम माना जाता है।
    पूजा के बाद मां लक्ष्मी की आरती करें।
  • प्रसाद ग्रहण और दान: अगले दिन सूर्योदय से पहले चंद्र देव की किरणों में रखी हुई इस खीर को प्रसाद के रूप में स्वयं ग्रहण करें और परिवार के सदस्यों में बांटें। साथ ही, इस दिन अन्न, वस्त्र, चावल, दूध, मिठाई और दक्षिणा का दान अवश्य करें।
Yogesh Soni Editor
Yogesh Soni Editorhttp://khabaronkiduniya.com
पत्रकारिता मेरे जीवन का एक मिशन है,जो बतौर ए शौक शुरू हुआ लेकिन अब मेरा धर्म और कर्म बन गया है।जनहित की हर बात जिम्मेदारों तक पहुंचाना,दुनिया भर की वह खबरों के अनछुए पहलू आप तक पहुंचाना मूल उद्देश्य है।
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments