सागर/रहली। कभी महाविद्यालय राजनीति की प्रथम पाठशाला हुआ करते थे लेकिन पिछले कुछ दिनों से रहली शासकीय महाविद्यालय राजनीति का अखाड़ा बना हुआ है।और इसके जिम्मेदार स्टॉप के लोग ही है।जो कि क्लास में पढ़ाई ना करवाके व्यक्तिगत हितों के लिए छात्र छात्राओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे है। अंदरखाने की खबर है कि परमानेंट स्टॉप और अतिथि विद्वान के बीच लंबे समय से बर्चस्व और अधिकारों को लेकर लड़ाई चल रही है परमानेंट स्टॉप अपने आप को सुपीरियर मानते हुए कॉलेज का संचालन करना चाहता है वही अतिथि विद्वान परमानेंट स्टॉप के थोपे हुए आदेशों को मानने राजी नहीं है।यहां के प्रभारी प्राचार्य हद से अधिक सीधे साधे हे और इसी की आड में यह द्वंद जमकर चल रहा है इससे कालेज की छवि तो धूमिल हो ही रही है साथ ही छात्र छात्राओं के की पढ़ाई बाधित होने से उनका भविष्य दांव पर लगा हुआ है।जानकार बताते है कि कुछ ही माह बाद प्रभारी प्राचार्य अजीत जैन रिटायर होने वाले है और अगले प्रभारी प्राचार्य बनने को लेकर रस्साकसी अभी से चल रही है।यही कारण है जो आए दिन विवाद पैदा हो रहे या कराए जा रहे है।फिलहाल इस विवाद को रोकने एसडीएम भी कोई निर्णय नहीं ले पा रहे है।यह विवाद अब कालेज से निकलकर राजनीतिक होता जा रहा है जिसके परिणाम निकट भविष्य में सामने होंगे।
यह है विवाद के कारण
कालेज में विवाद तो बहुत पुराना है लेकिन ताजा ताजा जो मामले सामने आए है उनमें भगवान बिरसा मुंडा की जयंती और संविधान दिवस पर शासन के निर्देशों के बाद भी नगर के किसी भी गणमान्य नागरिकों को कालेज में आमंत्रित नहीं किए जाने के कारण उपजा है। इस मामले को लेकर रहली कालेज मीडिया की सुर्खियों में रहा। वही इसी बीच शासकीय महाविद्यालय के परमानेंट स्टॉप ने थाने में एक आवेदन देकर
महाविद्यालय के छात्र हर्ष चौरसिया पर शासकीय कार्यों में बांधा उत्पन्न करने का आरोप लगाते हुए कार्यवाही की मांग की गई। चुकी इससे पूर्व आदिवासी छात्रों के साथ मिलकर हर्ष चौरसिया ने एसडीएम को कालेज स्टॉप के खिलाफ ज्ञापन देकर कार्यवाही की मांग की थी। एसडीएम द्वारा महाविद्यालय को नोटिस भी जारी किया था जिसके बाद से यह मामला तूल पकड़ा। वहीं महाविद्यालय का दूसरा पक्ष यूजीसी अतिथि विद्वान व जनभागीदारी स्टाफ छात्र के बचाव में सामने आया। जिसने एक ज्ञापन एसडीएम गोविन्द दुबे ज्ञापन देकर मांग की गई कि छात्र हर्ष चौरसिया पर कोई कार्रवाई न की जाए।
बुंदेलखंड:राजनीति की पाठशाला से अखाड़ा बना सागर का यह शासकीय महाविद्यालय
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