रहली। शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रहली में बाल विवाह मुक्त भारत बनाए जाने के उद्देश्य को लेकर उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार एक व्याख्यान माला आयोजित की गई जिसमें महाविद्यालय के प्राध्यापकों ने जागरूकता पर अपने-अपने विचार रखें।
डॉ राजू सेन ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए बाल विवाह निषेध के वेधानिक प्रावधान बताएं एवं सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय में रुकमा बाई के 11 वर्ष की आयु में बाल विवाह के परिणाम स्वरूप 1887 ई में देश में पहली बार तलाक के लिए याचिका लगाई ,जिसके फल स्वरुप भारत में ,ऐज आफ कंसेंट 1891 ईस्वी में पारित हुआ पारित हुआ का उल्लेख किया।
डॉ स्वप्ना सराफ द्वारा कार्यक्रम को आगे बढ़ते हुए बाल विवाह मुक्त अभियान के तहत महाविद्यालय स्तर पर मनोनीत छात्राओं ऋषिका ताम्रकार कु सोनम राजपूत, कु वर्षा भदोरिया कु सोनम रजक के नाम बतलाएं एवं बेटियों को स्लोगन के माध्यम से संबोधित किया।
अभी-अभी तो हुआ सवेरा, धूप तनिक चढ़ जाने दो।
अभी ब्याहन की क्या जल्दी, थोड़ा लिख पड़ जाने दो।।
प्राचार्य एके जैन द्वारा बाल विवाह के दुष्परिणाम से अवगत कराया गया। डॉ माधुरी सिंह ने कहां की बाल विवाह मुक्त भारत बनाने के लिए बच्चों को मोबाइल की आपत्तिजनक ऐप से परहेज करना चाहिए। आत्माराम दुबे ने कहा कि बाल विवाह मुक्त भारत बनाने के लिए जागरूकता लाना ही एक श्रेष्ठ उपाय है। डॉ पवन शर्मा जी ने बाल विवाह के होने के कारणों को बतलाया एवं दूर करने के संबंध में प्रकाश डाला।
पूर्व जन भागीदारी अध्यक्ष डॉ मनोज जैन ने कहा कि बाल विवाह मुक्त समाज बनाने के लिए पारिवारिक परिस्थितियों और सामाजिक जागरूकता में सामंजस्य बनाकर चलना होगा।
कार्यक्रम के अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य ए के जैन, डॉ रुचि राठौर सुषमा चौरसिया डॉ माधुरी सिंह डॉ पवन शर्मा डॉ मैत्री मोहन श्रीमती पूजा गुप्ता, श्रीमती शीतल मिश्रा, श्रीमती नेहा जैन ,कु शुभ्रा अवस्थी ,कु मेघा श्रीवास्तव ,सत्यम दुबे ,आत्माराम दुबे एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन डॉ राजू सेन एवं डॉ.स्वप्ना सराफ ने किया। आभार श्रीमती श्रीमती नेहा जैन ने किया।
रहली पीजी कॉलेज में हुआ बाल विवाह प्रतिषेध पर व्याख्यान
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