बहुत से लोग जीवन में थोड़े से प्रयासों से अच्छी आर्थिक स्थिति प्राप्त कर लेते हैं जबकि अनेक जीवनभर संघर्ष के बाद भी पर्याप्त धन अर्जित नहीं कर पाते। जीवन में आने वाले ये सब हालात ग्रह योग पर निर्भर करते हैं। ग्रहों से तय होता है कि हमारे जीवन में धन की स्थिति कैसी होगी। कुंडली का दूसरा भाव धन यानी स्थिर धन का प्रतिनिधित्व करता है। इसे धनभाव भी कहते हैं। 11 वां भाव हमारी आय या धन लाभ का कारक होता है। यह हमें नियमित होने वाले धन लाभ को भी दर्शता है। इसलिए इसे धन स्थान भी कहते हैं। हमारी आर्थिक स्थिति को निश्चित करने में जिस एक ग्रह की खास भूमिका होती है वह है शुक्र ग्रह। शुक्र को धन का नैसर्गिक कारक माना गया है। ऐसे में धन भाव, धनेश, लाभ स्थान, लाभेश और शुक्र हमारी कुंडली में कैसे हैं, इन सब पर हमारी जीवन में आर्थिक स्थिति निर्भर करती है।
कब होते हैं अच्छी आर्थिक स्थिति के योग:-
ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि यदि धनेश धन भाव में ही बैठा हो तो आर्थिक स्थिति अच्छी रहती है।
2:- धनेश स्व या उच्च राशि में शुभ भावों में बैठा हो तो धन की स्थिति अच्छी होती है।
३:- धनेश का केंद्र या त्रिकोण में मित्र राशि में होना भी जीवन में पर्याप्त धन योग बनाता है।
४:- यदि लाभेश लाभ स्थान में ही बैठा हो या लाभेश की लाभ स्थान पर दृष्टि पड़ती हो तो ऐसे व्यक्ति की नियमित आय अच्छी होती है।
५:-यदि कुंडली में शुक्र स्व राशि या उच्च राशि में शुभ भावों में बैठा हो तो अच्छी आर्थिक स्थिति प्राप्त होती है.!
ऐसे बनते हैं संघर्ष के योग:-
१:- यदि धनेश पाप भाव में हो तो आर्थिक पक्ष संघर्षमय बना रहता है।
२:-धनेश यदि अपनी नीच राशि में हो तो संघर्ष के बाद भी अच्छी आर्थिक स्थिति नहीं हो पाती।
३:- यदि धन भाव में कोई पाप योग बना हो तो आर्थिक स्थिति की तरफ से व्यक्ति परेशान रहता है।
४:-यदि लाभेश भी पाप भाव में हो तो आर्थिक पक्ष को बाधित करता है।
५:-शुक्र यदि अपनी नीच राशि में हो तो आर्थिक स्थिति कभी अच्छी नहीं बन पाती।
६:- शुक्र का कुंडली के आठवें भाव में होना भी आर्थिक संघर्ष करता है।
७:- जब शुक्र केतु के साथ हो तो आर्थिक स्थिति हमेशा अस्थिर बनी रहती है।