सोमवार को मुख्यमंत्री मोहन यादव और पुष्कर सिंह धामी मप्र के सागर पहुंचे ,जहां हेलीपेड पर नेताओं और अधिकारियों ने उनका स्वागत किया।इसके बाद सागर में मनाए जा रहे गौरव दिवस समारोह पहुंचे और विभिन्न कार्यों का लोकार्पण किया।मुख्यमंत्री जी का कार्यक्रम तो आज था लेकिन राजनीतिक गलियारों ही नहीं,जन जन की जुबान पर पिछले एक हफ्ते से कार्यक्रम की कलह चल रही है।सबसे ज्यादा विवाद तो पिछले तीन दिन से पोस्टर पर जिले के दो दिग्गज विधायकों के फोटो नहीं होने से हुआ। तमाम मीडिया में यह खबरे चटखारे लेकर खूब चली।
यह सब बाते पहले इसलिए रखी ,ताकि पाठकों को समझने में उलझन नहीं हो।तो अब आते है मुद्दे पर…. दरअसल शाम चाय की चुस्कियों के बीच हमारे मित्र प्यारे मोहन ने इसी विषय को छेड़ दिया,काफी तर्क वितर्क किए लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। आखिर में मित्र प्यारे मोहन ने एक जोरदार बात कही कि सोचने पर मजबूर हो गए।वास्तव में प्यारे मोहन की तर्क शैली के हम पहले ही कायल है।तो प्यारे मोहन जी ने बताया कि मित्र राजनीति में अचानक कुछ नहीं होता सब पहले से प्री प्लान होता है।मैने कहा उदाहरण सहित समझाए तो उन्होंने बताया कि पोस्टर में फोटो पहले नहीं लगाना और फिर हल्ला हो मचने के बाद लगाना पड़ेगा यह पहले से तयशुदा था। यह तो डेमेज कंट्रोल करने और शेखी बघारने कहा जा रहा हे कि हाईकमान का दबाव पड़ा और पोस्टर पर फोटो लगाने मजबूर कर दिया।इतनी सी बात पुराने राजनीतिक लोग ,और जिनकी फोटो नहीं लगी थी सब जानते है।बाकी राजनीति है तेल देखो और तेल की धार देखो। सच्चाई क्या है “राम जाने”. .. पर यह जरूर है कि गौरव दिवस भाजपा सरकार द्वारा ग्राम, नगर और जिले में विशेष योगदान देने वाले अथवा विशेष कार्यों की स्मृति को ताजा करने निर्धारित तारीख को नगर गौरव मनाने के निर्देश दो साल पहले दिए थे जिसमें सागर के दानवीर डॉ सर हरिसिंह गौर की जन्म जयंती 26 नवंबर पर सागर गौरव दिवस मनाना तय हुआ था। वर्ष 2022 में इसी दिन मनाया भी गया था।इस साल एक माह लेट मनाया गया,और रही बात पोस्टरों की तो उनमें भी जिन गौर साहब के लिए गौरव दिवस तय हुआ उन्हीं की फोटो नजर नहीं आई।इसका मतलब आप सब अपने हिसाब ने निकाल सकते है
शेष शुभ
