इस बार शारदीय नवरात्रि में माता पालकी पर सवार होकर आने वाली हैं, देवी पुराण में पालकी पर माता की सवारी को अत्यंत शुभ माना गया है, नवरात्रि के गुरुवार और शुक्रवार के दिन शुरू होने पर माता की सवारी पालकी होती है।
शारदीय नवरात्रि में भक्त नौ दिन माँ भगवती दुर्गा जी की पूजा और आराधना करते हैं, शारदीय नवरात्रि के हर दिन अलग- अलग रूपों में माता जी के 9 शक्तिओ की पूजा होती है ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि यह समय भक्ति और आस्था का होता है और माँ भगवती भक्तों पर कृपा करती हैं, मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान माता की अराधना से भक्तों के जीवन में सुख और समृद्धि आती है और सभी तरह के कष्टों का निवारण हो जाता है।
कब से कब तक शारदीय नवरात्रि
ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि शारदीय नवरात्रि अश्विन माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होती है, इस वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 2 अक्टूबर को रात्रि मे प्रारंभ होगा उदयकालीन तिथि शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ 3 अक्टूबर दिन गुरुवार से होगा और 11 अक्टूबर को नवमी मनाने के साथ समापन होगा 12 अक्टूबर को विजयादशमी मनाई जाएगी।
कलश स्थापना का मुहूर्त
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है, इस बार कलश स्थानपा का शुभ मुहूर्त 3 अक्टूबर को प्रातः 5 बजकर 01 मिनट से प्रारंभ होगा और यह शुभ मुहूर्त संपूर्ण दिन और रात्रि भर शुभ रहेगा।
पालकी पर आएंगी माँ भगवती
नौ दिन माता की पूजा
शारदीय नवरात्रि में नौ दिनों तक माता के अलग अलग रूपों की पूरी भक्ति और आस्था से पूजा अर्चना की जाती है, मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान माता की अराधना से भक्तों के जीवन में सुख और समृद्धि आती है और सभी तरह के कष्टों का निवारण हो जाता है।
फोटो – सोसल मीडिया