
हमारे समाज में शिक्षा को हर बच्चे का जन्मसिद्ध अधिकार माना गया है। सरकार ने भी इसे सुनिश्चित करने के लिए ‘शिक्षा का अधिकार’ जैसे कानून बनाए हैं और स्कूलों में तमाम तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं, ताकि हर बच्चा स्कूल जा सके। लेकिन, जब यह खबर मिलती है कि इन प्रयासों के बावजूद कुछ माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजने की जगह मजदूरी के लिए भेजते हैं, तो यह सुनकर दिल को ठेस पहुंचती है।

इसी तरह का एक दर्द विधायक भार्गव ने महसूस किया जब उन्हें पता चला कि शाहपुर नगर पंचायत के एक स्कूल में लड़कों की उपस्थिति लड़कियों से काफी कम है। कारण जानने पर जो हकीकत सामने आई, वह बेहद निराशाजनक थी—लड़के मजदूरी करने जाते थे।
यह जानकर विधायक का हृदय विचलित हो गया। दरअसल रहली के संदीपनी स्कूल में साइकिल और वितरण कार्यक्रम में बुधवार को रहली पहुंचे विधायक भार्गव ने सवाल उठाया कि जब सरकार बच्चों को स्कूल में किताबें, यूनिफॉर्म, भोजन, साइकिल, यहां तक कि स्कूटी जैसी तमाम सुविधाएं दे रही है, तो फिर क्यों कुछ माता-पिता अपने बच्चों को शिक्षा से वंचित कर रहे हैं?
यही बच्चे पड़ेंगे तभी आगे बढ़ेंगे,बड़े बड़े प्रशासनिक पदों पर पहुंचकर मातापिता और क्षेत्र का नाम रोशन करेंगे।

यह केवल एक चिंता का विषय नहीं, बल्कि हमारे समाज के लिए एक चुनौती है। शिक्षा ही वह सीढ़ी है, जो बच्चों को गरीबी और अज्ञानता के अंधेरे से निकालकर ज्ञान के प्रकाश और प्रगति की राह पर ले जाती है।
जब तक हर बच्चा कलम नहीं थामेगा, तब तक एक बेहतर और समृद्ध समाज का सपना अधूरा ही रहेगा। यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम बच्चों को स्कूल भेजें और उन्हें एक उज्ज्वल भविष्य का मौका दें।
