सागर: रुद्राक्ष धाम सागर में एक साथ हाथ पकड़ कर नाच रहे सागर के दिग्गज और वरिष्ठ नेता की यह जुगलबंदी राजनीति में क्या रंग लाने वाली है यह तो आने वाले वक्त में ही पता चलेगा पर क्रिया की प्रतिक्रिया होना सार्वभौमिक सत्य और प्राकृतिक नियम है।दरअसल यह वीडियो
पूर्व गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह के पुत्र अविराज सिंह के जन्मदिन का है जिसमें यह पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव,पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह,पूर्व संसद राजबहादुर सिंह और अन्य वरिष्ठ नेता हाथ में हाथ लिए नागिन फिल्म की धुन पर नाचते नजर आ रहे है।
राजनेताओं का मिलना जुलना सामान्य बात है लेकिन राजनीतिक अदावत के बाद ऐसा मिलन हो तो सरगर्मियां बढ़ना स्वाभाविक है,इसे समझने के लिए थोड़ा अतीत में जाना पड़ेगा। राजनीति में कोई भी स्थाई दोस्त और दुश्मन नहीं होता।जब भाजपा सरकार नहीं थी तब भूपेंद्र सिंह सुरखी से और गोपाल भार्गव लगातार रहली से है ही विधायक।तो इन दोनो में गहरी मित्रता थी दोनों अपने क्षेत्र में गहरी पैठ बनाए हुए थे।लेकिन जब भाजपा सरकार आई तो दोनों मंत्री बने,समय के साथ जिले के राजनीतिक लोग दो गुटों में बट गए।और दोनों नेताओं में के दरमियान राजनीतिक दूरियां बढ़ने लगी। दोनों ही दिग्गज और वरिष्ठ नेता है।वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में दोनों को मंत्री पद नहीं मिला। चुनाव के बाद महज एक साल में राजनीतिक महत्वकांक्षाओं ने दरमिया बड़ी दूरियों को पाटने का काम किया और राजनीतिक हल्के में चर्चा होने लगी को दोनों दिग्गज एक हो रहे है। इसका नजारा भी पिछले माह सागर आए मुख्यमंत्री मोहन यादव के कार्यक्रम में देखने मिला जहां दोनों नेता एकसाथ एक गाड़ी में बैठे नजर आए।
और आज युवा नेता अविराज के जन्मदिन पर एक साथ आशीर्वाद देते नजर आए साथ ही फिल्मी धुन पर नाचते भी नजर आए।
गौरतलब हो कि दोनों नेता अपने पुत्रों के लिए राजनीतिक जमीन बनाने में जुटे हुए है।एक और गोपाल भार्गव जी के पुत्र अभिषेक दीपू भार्गव रहली विधानसभा में युवाओं में अपना स्थान बना चुके है वही अविराज सिंह खुरई और सागर विधानसभा में युवाओं के बीच लोकप्रिय है।कहने का आशय दिनों ही नेता पुत्र राजनैतिक विरासत को संभालने तैयारी में लगे हुए है।
वही दोनों दिग्गज नेताओं के मिलन से आने वाले समय में मंत्रिमंडल के विस्तार,और संगठन में महत्तपूर्ण स्थान पर जगह बनाए जाने की चर्चा आम हो गई है। भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार देवदत्त दुबे जी के अनुसार अगले माह मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है और उसमें वरिष्ठ और नए विधायकों को जगह दी जा सकती है।