मप्र सागर।रहली विकासखंड का छिरारी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्टॉप विहीन होकर घास के मैदान में तब्दील होने को है,यहां अब जहरीले जीव जंतुओं का बसेरा हो गया है। इस अस्पताल के हालात छिरारी गांव के प्रबुद्ध नागरिक ईश्वर दयाल गोस्वामी ने सोशल मीडिया पर लिखी हे जो वायरल हो रही हे। वैसे तो इसमें एक शासकीय डाॅक्टर व दस अन्य का स्टाफ होना चाहिए पर यहाँ से जो भी डाॅक्टर या कर्मचारी स्थानांतरित हो गया या मर गया या सेवा निवृत्त हो गया तो फिर उसके स्थान पर आज तक कोई माटी का गुड्डा भी नहीं बैठाया गया । 18साल पहले स्वीपर कल्लू मर गया तो उसके स्थान पर फिर कोई स्वीपर नहीं भेजा गया ।34 साल पहले कम्पान्डर रावत स्थानांतरित हुए तो फिर उनके स्थान पर कोई नहीं आया । 29साल पहले ड्रेसर हरिराम की बदली क्या हुई तब से अस्पताल ड्रेसर के लिए मुंहताज़ हो गया ।13 साल पहले वार्ड बाॅय राजू मरा तो फिर कोई वार्ड बाॅय भी नहीं भेजा गया।

बड़ी बाई कस्तूरी भी रिटायर हो चुकी, डाॅ आर एस ठाकुर पहले ही स्थानांतरित हो चुके। यदा-कदा रहली से कुछ समय के लिए डॉक्टर भी देवदर्शन करा देते हैं किंतु प्रसव-कार्य पूर्णतः बंद है।
बिस्तर, फर्नीचर व फ्रिज़ की हालत ख़राब हो चुकी है और दवाईयों की उल्टी गिनती प्रारंभ है।
ले दे कर एक बाई बची है और उनके ही ज़िम्मे यह 6 बिस्तरों बाला बड़ा अस्पताल।
बिस्तरों पर कोई प्रसूति न होने और मरीजों के भर्ती न होने से बेचारे खटमल अकाल मौत मारे गए। सामग्री – शून्यता के कारण चूहों की भी हालत श़िकस्त है ।
छिपकलियां भी अस्पताल की दीवारों पर अब ग़श्त नहीं देतीं ।
डाॅक्टर के आवास में काई लग चुकी । कम्पान्डर आवास वक्त से पहले ही खंडहर में तब्द़ील होने लगा।
डेनिडा द्वारा निर्मित नर्स आवास भी पूरी तरह खंडहर होकर “भूत-बंगले” में रूपांतरित हो चुका है।

कहने का आशय यह कि पूरा अस्पताल केवल शो पीस बन कर रह गया ।
मेरा विश्वास है कि इस देश में बड़े बड़े लोग हैं जो बड़े बड़े पदों पर आसीन हैं और बड़ी बड़ी समस्याओं को निपटाते हैं।यह समस्या भी निपट जाए इस आशा से यह चिट्ठी आप लोगों की ओर सम्प्रेषित है, ताकि – सनद् रहे वक्त पर काम आवे।
–
