मप्र सागर जिले की रहली विधानसभा के विधायक गोपाल भार्गव के पुत्र और युवा नेता अभिषेक भार्गव ने सोशल मीडिया पर सागर में खुली मेडिकल कॉलेज के अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए उसे शाप या वरदान कहने में नहीं चूके,, सुविधा जब हद से ज्यादा दुरुपयोगी हो जाए तो किसी न किसी को आवाज तो उठानी ही पड़ेगी, सागर मेडिकल कॉलेज स्टॉप के लिए खेल का मैदान बन गया है जबकि जीवन रक्षक मंदिर होना इसका मूल उद्देश्य है। अभिषेक के लिए साधुवाद,कम से कम सरकार में रहते हुए भी सिस्टम के खिलाफ सवाल तो खड़ा किया,आज जिले में हालत यह है कि प्रशासन बेलगाम हो गया है,कोई कुछ भी कर रहा हे कोई रोकने टोकने वाला नहीं है। जनता की वोटो से पदों पर पहुंचे माननीय जनता को फुटबॉल समझ बैठे है।
सोशल मीडिया पर क्या लिखा अभिषेक ने आप भी पढ़िए–:
बहुत लम्बे समय से यह विचार रखना चाह रहा था। परन्तु कुछ न कुछ सोच कर स्वयं को चुप कर लेता था।विगत कई वर्षों से बुंदेलखंड मेडिकल कालेज मे ईलाज कराने गए मरीजों का या उनके परिजनों का लगभग हर दूसरे तीसरे दिन फ़ोन आता है, बुंदेलखंड मेडिकल कालेज की बिगड़ी हुई व्यवस्था के बारे मे शिकायत करने हेतु। कई कई दिनों तक मरीजों को ऑपरेशन के लिए इंतजार कराया जाता है। जांचो के लिए बाहर निजी स्थानों पर भेजा जाता है। जिन डाक्टरों को मेडिकल कालेज मे सेवाएं देने के लिए वेतन दिया जाता है वोह मेडिकल कालेज से ज्यादा निजी अस्पतालों मे समय दे रहे है।मेडिकल मे शायद ही कोई ऐसा कर्मचारी हो जो वहां ईलाज कराने आये हुए मरीजों और उनके परिजनों से बिना दुत्कारे हुए सभ्यता से बात करता हो। नर्सिंग स्टॉफ तो मरीजों से ऐसा व्यवहार करता है जैसे मरीज आतंकवादी हों। वहां पढ़ने वाले स्टूडेंट, जूनियर डाक्टरों का तहलका तो सब जानते ही है की जरा सी बात पर मरीज और परिजनों की लात घूँसे तो ठीक हॉकी डांडो से मारपीट तय हो जाती है।गाहेँ बगाहे मेडिकल कालेज प्रबंधन अखबारों मे खबरें छपवाता है की फलाने डाक्टर ने मेडिकल कालेज मे अत्यंत जटिल ऑपरेशन को सफलता पूर्वक संपन्न करवा कर मरीज को जीवन दान दिया। सैकड़ो करोड़ों की लागत और सागर जिला वासियों की लाखो आशाओं, उम्मीदों से बना है यह मेडिकल कालेज। लेकिन जिलावासियों का दुर्भाग्य देखिये की सागर मे चलने वाले छोटे मोटे निजी अस्पतालों तक मे मस्तिक, हृदय और रीढ़ के जटिल से जटिल ऑपरेशन किये जा रहे है, परन्तु हमारा बुंदेलखंड मेडिकल कालेज सिर्फ जनरल सर्जरी, हड्डी और महिलाओं की डिलीवरी तक सीमित होकर रह गया है। अब तो जब भी क्षेत्र का कोई व्यक्ति मुझे मेडिकल कालेज मे भर्ती होकर व्यवस्थाओं के लिए फ़ोन लगाता है तो मैं उसे तुरंत डिस्चार्ज करा कर या तो भोपाल के अस्पतालों या सागर के ही अन्य अस्पतालों मे भर्ती होने की सलाह भी देता हूं और उनकी व्यवस्था भी करता हूं।
आज भोपाल मे था जब सानोधा ग्राम से किसी व्यक्ति का फोन आया और उसने मुझे आज हुए दर्दनाक हादसे की और उस समय चल रहे चक्का जाम की जानकारी दी और जांच कर न्याय की मांग की। मैंने जिला स्वस्थ अधिकारी और मौके पर मौजूद अनुविभागीय अधिकारी से भी बात कर वस्तु स्तिथि जानने का प्रयास किया। फिर मैंने आदरणीय विधायक प्रदीप लारिया जी से बात की उन्होंने बहुत स्पस्ट शब्दों मे कहा की हर संभव मदद करेंगे और जो भी दोषी होगा उस पर कार्यवाही की जाएगी। दिवंगत बालिका के परिजनों ने मुझे मृत बच्ची की देह का एक विडिओ भेजा जिसे देख कर मेरी रूह काँप गयी। और लिखने पर मजबूर होना पड़ा। हम सागरवासियों को मेडिकल कालेज के रूप मे वरदान मिला है या भयंकर श्राप?
मेरा समस्त जनप्रतिनिधियों और जनता से आग्रह है की मेडिकल कालेज की व्यवस्थाएं सुधारना बहुत जरुरी है।एक तरफ हमारी सरकार तरह तरह के संसाधन मुहैया करा कर, जनकल्याणकारी योजना बना कर,बेहतर से बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर देकर गरीब आदमी के बेहतर से बेहतर ईलाज का प्रबंध कर रही है वहीं दूसरी ओर जिनके हांथो मे मेडिकल कालेज को चलाने का जिम्मा है वह अत्यंत असंवेदनशील है।
हमें ऐसा असली मेडिकल कालेज चाहिए जिसमे एक आम आदमी, एक गरीब आदमी बेहतरीन ईलाज निशुल्क और सम्मान सहित पा सके न की ऐसा मेडिकल कालेज जिसमे सिर्फ डाक्टरों, कर्मचारियों और प्रबंधको का हित हो।
यह निवेदन मैं व्यक्तिगत रूप से प्रदेश के मुखिया आदरणीय श्री Dr Mohan Yadav जी और हमारे चिकित्सा शिक्षा मंत्री जो हमारे प्रभारी मंत्री भी है आदरणीय श्री राजेंद्र शुक्ला जी के सामने रखूँगा।
मुझे लगता है की मेडिकल कालेज की व्यवस्थाएं सुधारने के लिए अब आम जनता को ही आगे आना पड़ेगा।

