मप्र सागर।होली का त्यौहार नजदीक आ रहा है रंगों के इस त्यौहार में लोग जम कर रंग गुलाल का इस्तेमाल करते है। बाजार में मिलने वाले केमिकल युक्त रंगों तथा गुलाल से लोगों को विभिन्न प्रकार के त्वचीय रोग होने की संभावना रहती है, इसलिए बाजार में अब हर्बल रंग तथा गुलाल की मांग बढ़ने लगी है।

बाजार में हर्बल रंगों की मांग को ध्यान में रखते हुए सागर जिले की आजीविका मिशन स्वसहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं इन दिनों हर्बल रंग गुलाल बनाने लगी है। सागर जिले की राधारानी गौ शाला का संचालन कर रही लक्ष्मी स्व-सहायता समूह की आदिवासी महिलाएं अपनी आजीविका के लिए नए नए काम करती है और यह महिलाएं पिछले साल से होली के अवसर पर प्राकृतिक फूलों वनस्पतियों से गुलाल और रंग बना रही है।

समूह की महिलाओं ने बताया कि वह टेसू सेमल के फूलों स्थानीय वनस्पति के फूलों पेड़ की पत्तियों को सुखाकर पीसकर उनसे यह रंग तथा कृत्रिम गुलाल तैयार करती है तथा उन्हें पैक कर आजीविका मिशन सागर के माध्यम से वह बिक्री करती है।

इनका यह रंग गुलाल केमिकल फ्री होने से लोगो को पसंद आता है तथा इसके प्रयोग से मानव त्वचा तथा मानव अंगों पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता।
