Sagar जिले की रहली में प्रथम बार में ही बिना किसी कोचिंग का सहयोग लिए NET परीक्षा में 96% अंक प्राप्त कर सम्पूर्ण रहली नगर को गौरवान्वित करने पर रानू मांझी पिता रामगोपाल मांझी का सम्मान किया गया।
कुछ प्रतिभायें साधन व सुविधाओं की मोहताज नहीं होती है, और अपनी लगन व मेहनत से लक्ष्य को प्राप्त कर लेती है। ऐसी ही एक प्रतिभाशाली छात्रा का नाम है, कु. रानू मांझी । रानू एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखती है। रानू अपनी पढ़ाई का सद्उपयोग कर अपने कुछ बड़े सपने साकार करना चाहती है।
रानू ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा रहली में ही रहकर पूरी की। स्नातक हेतु उन्होंने भौतिकी , रसायन एवं गणित विषय का चयन करके बी. एस. सी. की थी। तत्पश्चात् वे एम.एस.सी. करना चाहती थी, परंतु कुछ कारणवश परिस्थितियों के अनुरूप उन्होंने हिंदी साहित्य विषय से एम०ए० में एडमिशन लिया। अतः परिस्थितियाँ कुछ इस प्रकार थी कि उन्होंने स्वयं हिंदी साहित्य विषय स्वेच्छा से नहीं चुना, अपितु हिंदी साहित्य विषय ने उन्हें चुना।
रहली महाविद्यालय में पढ़ाई के दौरान उनका चयन “मुख्यमंत्री यूथ इंटर्नशिप” योजना में भी हुआ। जिसके कारण उनका व्यक्तित्व विकास हुआ व नये-नये अनेक अनुभव प्राप्त हुथ । इस इंटर्नशिप का कार्यकाल एक वर्ष रहा, जो कि उन्होंने सक्रिय रूप से पूरा किया और साथ ही साथ अपनी पढ़ाई भी जारी रखी।
इसके बाद रानू ने विधिक सेवा प्राधिकरण के अंतर्गत रहली में पैरा लीगल वालिंटियर के रूप में कुछ महीने कार्य किया। इसी दौरान उन्होंने NET EXAM की तैयारी शुरु की।
कुछ महीनों की तैयारी के बाद स्नातकोत्तर के अंतिम वर्ष में स्नातकोत्तर परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करने के साथ-साथ उन्होंने 23 वर्ष की आयु में 2024 में ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा आयोजित NET (राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा) प्रथम प्रयास में 174.52 अंक के साथ 96.77 परसेंटाइल से उत्तीर्ण की है।
उनका मानना है, कि सफलता की कोई ट्रिक नहीं है, बस एक सूत्र है, जो है. मेहनत, मेहनत और मेहनत…!
रानू अपने महाविद्यालय के पुस्तकालय से सिलेबस के आधार पर विभिन्न पुस्तकें पढ़ती थी और YouTube से स्वयं अपने NOTES बनाती थी। इस प्रकार लगातार प्रतिदिन पढ़ाई करते हुये, बिना कोई पुस्तक खरीदें उन्होंने नेट की परीक्षा उत्तम अंकों से उत्तीर्ण की। यह एक राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा हैं, जो विद्यार्थी इसे उत्तीर्ण कर लेते है, वे पी.एच.डी. करने हेतु और असिस्टेंट प्रोफेसर के पद के लिए अपनी योग्यता सुनिश्चित करते है।
उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार, मित्रगण एवं अपने शिक्षकों को प्रदान किया है।
वे कहती है, कि…
” किस्मत में जो लिखा है, उसकी तमन्ना किते हैं। ख्वाहिश तो उसकी है, जो तकदीर में लिखा ही न गया हो।”