इंदौर।प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक लगने वाले कुंभ के लिए इंदौर के संतों ने भी तैयारी शुरू कर दी है। कुंभ में इंदौर के अलग-अलग आश्रमों से पद्मनाभ स्वामी, रामलला, लड्डू गोपाल और लालजी की मूर्तियां संत-महंत साथ लेकर जाएंगे। ये मूर्तियां 100 से 284 वर्षों से भी ज्यादा पुरानी है। उज्जैन, हरिद्वार, नासिक और प्रयागराज चारों कुंभ में इन्हें विशेष रूप से ले जाया जाता है।
कुंभ में हंसदास मठ का डाकोर खालसा, श्रीराम मंदिर पंचकुईया, पंचबाराबाई डांडिया और गौरेदाउनगर, विद्याधाम, अन्नपूर्णा सहित कई आश्रमों के शिविर लगेंगे। इसके लिए जमीन आवंटन हो चुका है। कैंप में इंदौर से जुड़े लोग हर दिन 12 घंटे अन्नक्षेत्र चलाएंगे, जहां कोई भी श्रद्धालु आकर प्रसादी ले सकता है।
1740 से लग रहा है हंसदास मठ का शिविर
हंसदास मठ से जुड़े महंत पवनदास महाराज ने कहा, डाकोर-इंदौर खालसा का कैंप संगममार्ग पर लगेगा। कुंभ में 284 साल पुराने पद्मनाभ स्वामी और लड्डू गोपाल की मूर्तियां खासतौर पर ले जाई जाएंगी। यह मूर्तियां हरिद्वार, नासिक, उज्जैन और प्रयागराज चारों कुंभ-सिंहस्थ में जाती हैं।
पवनदास महाराज कहते हैं ऐसा कोई कुंभ नहीं रहा जब भगवान पद्मनाभ भक्तों को दर्शन देने नहीं पहुंचे हो। वे कहते हैं 1740 में हंसदासजी ने डाकोर इंदौर खालसा की स्थापना की थी। यह खालसा रामानंदीय संप्रदाय दिगंबर अनि अखाड़ा का सबसे बड़ा और प्राचीन अखाड़ा है। तब से ही कुंभ में मठ का शिविर लग रहा है। कुंभ में लोगों के रुकने के साथ ही भोजन प्रसादी की व्यवस्थाएं भी की जाएंगी। डाकोर-खालसा का कैंप 10 जनवरी से 4 फरवरी तक चलेगा।
