Sunday, December 22, 2024
HomeEditer pageGenda phool: गेंदा फूल की यह विशेषता आपके दिल को छू जाएगी,कवि...

Genda phool: गेंदा फूल की यह विशेषता आपके दिल को छू जाएगी,कवि ने गेंदा फूल को लेकर क्या कहा पढ़े खबर में

ससुराल गेंदा फ़ूल
गाना तो सुना ही होगा सबने , जिसमें छत पर काम करते हुए मीठी छेड़छाड़ के साथ यह गाना चल रहा होता है तो कभी मन में आया कि ससुराल गुलाब फ़ूल क्यों नहीं ,चमेली फ़ूल क्यों नहीं , ससुराल गेंदा फ़ूल ही क्यों कहा गया, आइए पहले गाना गुनगुनाते हैं , फ़िर अर्थ समझते हैं …
सास गाली देवे, देवरजी समझा लेवे
ससुराल गेंदा फूल
सैयाँ छेड़ देवे, ननद चुटकी लेवे
ससुराल गेंदा फूल
छोड़ा बाबुल का अंगना, भावे डेरा पिया का, हो …

शादी के बाद लडकी जब ससुराल आती है तो बहुत सारे बंधनो में बंध जाती है , बहुत से रिश्ते बन जाते है जैसे बहु ,देवरानी ,जिठानी ,भाभी और भी बहुत सारे और उसमें भी कोई प्यार करता है ,कोई ताना मारता है ,कोई मजाक करता है ,वगैरह वगैरह तो जिस प्रकार गेंदे का फूल बहुत सारी पंखुडियों को एक बंधन मे बांध कर रखता है , ढेर पंखुडिया होती है पर उन्हें सहेजकर एक साथ रखता है । आंधी, तूफान ,बारिश सब कुछ सहन करते हुए भी उन्हें बिखरने नहीं देता , उसी प्रकार हर लड़की को शिक्षा दी जाती है कि हर परिस्थिति में ससुराल में सभी को एकसाथ लेकर चलना ,अपने परिवार को बिखरने मत देना ,सभी का ध्यान रखना ।
गेंदे का फूल सूख जाता है फिर भी अपनी पंखुडियों को बिखरने नहीं देता इसीलिए ‘ ससुराल को गेंदा फूल ’ कहा गया है क्योंकि दूसरे फूल बहुत जल्दी बिखर जाते है पर गेंदे का फूल सूखने के बावजूद सभी को बांधकर रखता है और इसी तरह मरते दम तक हमलोग भी अपने परिवार को साथ लेकर चलते हैं । सूखा हुआ गेंदे का फ़ूल भी मिट्टी में बिखरा कर बो दो तो नए पौधे पनप जाते हैं , है ना जादुई और अद्भुत गेंदा !

वनस्पति विज्ञान में तो गेंदा को फ़ूल कहा ही नहीं गया, गुलदस्ता कहा गया है क्योंकि गेंदा की हर एक पंखुड़ी एक फूल है । कवि ने एक परिवार को गेंदा की उपमा दी है । जिस तरह से गेंदा एक गुलदस्ते में बंधा होता है , एक अच्छा परिवार भी उसी तरह बंधा होता है ।

देवर छेड़ता है तो ननद भाभी को समझा लेती है।
सास गाली देती है तो देवर भाभी को मना लेता है।
यानि कि सब एक दूसरे की इज्जत करते हैं और सब एक दूसरे के प्रति समर्पित है।
ठीक गेंदे के फूल की तरह , नहीं …नहीं गेंदे के गुलदस्ते की तरह

ये फूल इतना खूबसूरत और खुशबूदार होता है कि पास से भी अगर गुजर जाओ तो भी इसकी पवित्र , सात्विक खुशबू से आत्मा तक तृप्त हो जाती है । जितने खुशबूदार इसके फूल होते हैं उतनी ही ज्यादा महक इसकी पत्तियों में भी आती है। इसकी पत्तियाँ सिर्फ महकती नहीं है अपितु बेहद गुणकारी भी होती हैं । गेंदे के पत्तों को पीसकर फोड़े-फुन्सी और घाव पर लगाने से आराम होता है । कान दर्द में गेंदे के हरी पत्ती का रस कान में डालने पर दर्द दूर हो जाता है ।
सुंदर , खुशबूदार और फायदेमंद ,तभी तो ससुराल गेंदा फ़ूल !!

धार्मिक महत्व:

हिंदू धर्म में गेंदे के फूल का विशेष महत्व माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि गेंदे के फूल की हर पंखुड़ी में अलग-अलग देवी-देवताओं का वास होता है.

गेंदे के फूल, जिन्हें मैरीगोल्ड भी कहा जाता है, रंग-बिरंगे और कई औषधीय गुणों वाले होते हैं. ये फूल कई तरह से इस्तेमाल किए जाते हैं:
सजावट के लिए: गेंदे के फूलों की खेती आसानी से की जा सकती है और ये बगीचे को सुंदर बनाते हैं. इनकी खेती साल भर की जा सकती है.
शादी-विवाह में: गेंदे के फूलों का इस्तेमाल शादी-विवाह में मंडप सजाने में किया जाता है.


कब करें गेंदें की रोपाई:
खरीफ सीजन में गेंदे की रोपाई आमतौर पर जून-जुलाई करते हैं, लेकिन जहां पानी की उपलब्धता है, वे किसान अगस्त तक कर सकते हैं। अक्टूबर से फरवरी तक फूलने का समय आ जाता है यानी नवरात्र और दीपावली पर फूलों की आवक अा जाती है। इसकी खेती सर्दी, गर्मी एवं वर्षा तीनों मौसम में आसानी से की जा सकती है।

#marigold

साभार: सोसल मीडिया

Yogesh Soni Editor
Yogesh Soni Editorhttp://khabaronkiduniya.com
पत्रकारिता मेरे जीवन का एक मिशन है,जो बतौर ए शौक शुरू हुआ लेकिन अब मेरा धर्म और कर्म बन गया है।जनहित की हर बात जिम्मेदारों तक पहुंचाना,दुनिया भर की वह खबरों के अनछुए पहलू आप तक पहुंचाना मूल उद्देश्य है।
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments