Saturday, October 25, 2025
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#Gardening:चाय के बाद बची पत्ती,पौधों के लिए उत्तम खाद।

चाय बनाने के बाद बची हुई चायपत्ती कचरा नहीं है, बल्कि पौधों के लिए एक बेहतरीन प्राकृतिक खाद हो सकती है।

Gardening news /क्या आप जानते हैं कि चाय बनाने के बाद बची हुई चायपत्ती कचरा नहीं है, बल्कि पौधों के लिए एक बेहतरीन प्राकृतिक खाद हो सकती है। चायपत्ती में प्राकृतिक रूप से नाइट्रोजन, पोटैशियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम और अन्य सूक्ष्म खनिज पाए जाते हैं, जो पौधों की वृद्धि और पत्तों की हरियाली में मदद करते हैं।

♦️ चायपत्ती का बागवानी में इस्तेमाल के फायदे :-

✅️ नाइट्रोजन पत्तियों के ग्रोथ बढ़ाने के साथ गहरे हरे रंग के लिए जरूरी है।

✅️ पोटेशियम फूलों और फलों की बढ़ोतरी करने के लिए जरूरी है।

✅️ फॉस्फोरस जड़ों के विकास और पौधे की मजबूती के लिए आवश्यक है।

✅️ मिट्टी की बनावट और सूक्ष्मजीव गतिविधि में सुधार और नमी के लिए भी फायदेमंद है।

✅️ पौधों को स्वस्थ और हरा-भरा रखने का एक सरल और पर्यावरण के अनुकूल तरीका है।

1️⃣ इस्तेमाल करने का पहला तरीका :-
सीधी तौर पर इस्तेमाल करने के लिए अपनी रोज की चाय से बची हुई चायपत्ती इकट्ठा करें। फिर इसे अच्छी तरह से धो लें ताकि दूध या चीनी के बचे हुए हिस्से पूरी तरह निकल जाए। इसे 2 से 3 दिनों के लिए धूप में सुखाएं, जब तक यह भुरभुरी न हो जाए। फिर इस चायपत्ती को मिट्टी या खाद के साथ मिला दें या फिर हर 2-3 हफ्तों में प्रत्येक पौधे के चारों ओर 1 से 2 बड़े चम्मच डालें। इसके बाद पानी का छिड़काव कर दें। चायपत्ती का इस्तेमाल करने का ये सबसे आसान तरीका है।

2️⃣ दूसरा तरीका- लिक्विड खाद बनाकर डालें :-
लिक्विड खाद बनाने के लिए जो चायपत्ती आपने सुखाकर रखी है, उसे 3 से 4 चम्मच लेकर एक बाल्टी में डालें, इसमें एक लीटर पानी भी मिला दें। अब आपको इस लिक्विड को 1 से 2 दिन तक, ऐसे ही छोड़ दें। आप चाहें तो केले के छिलके का पाउडर, अंडे के कुचले हुए छिलके, नीम का पाउडर भी मिला सकते हैं। दो दिन बाद पानी को छान लें और इसका उपयोग अपने पौधों को पानी देने के लिए करें।

♦️ किन-किन पौधों में कर सकते हैं इस्तेमाल :-
वैसे तो चायपत्ती का इस्तेमाल लगभग सभी पौधों के लिए सुरक्षित माना जाता है, लेकिन यह विशेष रूप से उन पौधों के लिए फायदेमंद है जिन्हें थोड़ी अम्लीय मिट्टी पसंद होती है। जैसे कि गुलाब, मोगरा, गुड़हल, गेंदा, मनी प्लांट, पीस लिली, एक्जोरा और इनडोर पत्तेदार पौधे।

♦️ इन सावधानियों का रखें ध्यान :-

● हमेशा इस्तेमाल की हुई चायपत्ती का प्रयोग करें।

● चायपत्ती को सीधे बहुत अधिक मात्रा में न डालें, ये मिट्टी को बहुत ज्यादा एसिडिक बना सकती है। जितना जरूरत हो उतना ही डालें।

● एक बार पौधे में डालने के बाद कम से कम 2-3 हफ्ते का अन्तराल रखें।

● पौधों को फंगल से बचने के लिए चायपत्ती का इस्तेमाल सूखाकर ही करना चाहिए।

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Yogesh Soni Editor
Yogesh Soni Editorhttp://khabaronkiduniya.com
पत्रकारिता मेरे जीवन का एक मिशन है,जो बतौर ए शौक शुरू हुआ लेकिन अब मेरा धर्म और कर्म बन गया है।जनहित की हर बात जिम्मेदारों तक पहुंचाना,दुनिया भर की वह खबरों के अनछुए पहलू आप तक पहुंचाना मूल उद्देश्य है।
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