Saturday, December 21, 2024
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GANDHI JAYANTI: चरखे की चाहत खीच लाई थी बापू को अनंतपुरा

खादी आश्रम से प्रभावित होकर bundelkhand के सागर जिले के अनंतपुरा ग्राम आये थे बापू।

Mp/news । चरखे की चाहत व अनंतपुरा गांव के युवक जेठालाल भाई के स्वदेशी वस्त्र प्रेम से प्रभावित होकर राष्ट पिता महात्मा गांधी 88 साल पहले 1 दिसम्बर 1933 को रहली के छोटे से ग्राम अनंतपुरा पधारे थे। बापू ने अनंतपुरा गांव में रात्रि विश्राम कर पूरे 15 घंटे बिताए थे।बापू की यात्रा के बाद से रहली के समीपस्थ ग्राम अनंतपुरा गांधी ग्राम के रुप जाना जाने लगा है।तत्कालीन दो सौ घरो के छोटे से ग्राम अनंतपुरा में अंग्रेजी शासन काल में जेठालाल भाई नामक युवक द्वारा खादी आश्रम का संचालन कर गांव के लोगो को रोजगार मुहैया करानेे के साथ स्वेदेशी वस्त्रो एवं स्वेदेशी विचार धारा का प्रचार किया जा रहा था।

जेठालाल पत्र व्यवहार के माध्यम से गांधीजी से मार्ग दर्शन प्राप्त करते थे । जेठालाल की राष्टभक्ति एवं स्वदेशी प्रेम से प्रभावित होकर गांधी जी अनंतपुरा जेठालाल का हौसला बढानें के लियें आयें थें । हालांकि आज जेठालाल के परिजन अनंतपुरा में निवास नही करते आजादी के बाद पूरा परिवार नागपुर चला गया था। खादी आश्रम के अवशेष भी नही बचे है ।

15 घंटे रुके थे बापू –
1 दिसम्बर 1933 को बापू दोपहर 3.30 बजे अनंतपुरा ग्राम पहुचे थें । देवरी से अनंतपुरा आते समय बापू का पूरे रास्ते में स्वागत किया गया था । गांव में पहुचकर सवसे पहले बापू जेठालाल से मिले एवं खादी आश्रम का निरीक्षण किया।खादी आश्रम से बापू इतनें प्रभावित हुए कि उन्होने अनंतपुरा ग्राम के बारें में सम्पादकीय लिखी।गांव के मध्य बने चबूतरे से सभा कों संबोधित कर छुआछूत मिटाने की अपील की एवं चरखे के महत्व को समझाते हुए कहा था कि चरख देश के करोडो भाईयों का धी दूध और रोटी है । गांधी जिस चबूतरे पर बैठे थे वह आज भी उनकी यादों को संजोए हुए है।

सायंकालीन प्रार्थना सभा के बाद बापू ने झोपडीयों में जाकर लोगो के हाल जाने।रात्रि विश्राम के बाद बापू दूसरे दिन प्रातः कालीन प्रार्थना सभा के बाद सुबह 6.30 बजे अनंतपुरा ग्राम से दमोह को रवाना हुए थे । यात्रा मे उनके साथ स्व.व्यौहार राजेन्द्र सिंह एव स्व पं.रविशंकर शुक्ल साथ थे।
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● नई पीढी अंजान”
-बापू की अनंतपुरा यात्रा के प्रत्यक्षदर्शी और उस समय की पीढ़ी के लोग अब नही रहे और नई पीढी बापू की यात्रा से पूरी तरह अनभिज्ञ है। गांव के बुर्जुग बताते है कि उन्होने अपने दादा परदादा से गाधी जी की यात्रा के बारें में सुना था।

Yogesh Soni Editor
Yogesh Soni Editorhttp://khabaronkiduniya.com
पत्रकारिता मेरे जीवन का एक मिशन है,जो बतौर ए शौक शुरू हुआ लेकिन अब मेरा धर्म और कर्म बन गया है।जनहित की हर बात जिम्मेदारों तक पहुंचाना,दुनिया भर की वह खबरों के अनछुए पहलू आप तक पहुंचाना मूल उद्देश्य है।
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