गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है, दिवाली के अगले दिन मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। यह त्योहार भगवान कृष्ण की विजय का प्रतीक है, जिन्होंने अपने गाँव को इंद्र के क्रोध से बचाया था।
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने गोकुल के लोगों को इंद्र की पूजा करने के बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए कहा, जो उनकी आजीविका का स्रोत था। इंद्र क्रोधित होकर वर्षा और तूफान भेजा, लेकिन भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर गोकुल के लोगों की रक्षा की।
गोवर्धन पूजा के दिन, लोग अपने घरों में अन्नकूट उत्सव मनाते हैं और भगवान कृष्ण को 56 भोग लगाते हैं। इसके बाद, वे गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं और अपने घरों में गोवर्धन पूजा का आयोजन करते हैं।
गोवर्धन पूजा का महत्व
प्रकृति का सम्मान: गोवर्धन पूजा हमें प्रकृति का सम्मान करने की याद दिलाती है और हमें अपने आसपास के वातावरण की रक्षा करने के लिए प्रेरित करती है।
भगवान कृष्ण की महिमा: गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण की महिमा को दर्शाती है और हमें उनकी शिक्षाओं का पालन करने के लिए प्रेरित करती है।
समुदाय की एकता: गोवर्धन पूजा समुदाय की एकता को बढ़ावा देती है, क्योंकि लोग अपने घरों में और मंदिरों में एकत्र होकर पूजा करते हैं।
कृषि और पशुपालन का महत्व: गोवर्धन पूजा कृषि और पशुपालन के महत्व को दर्शाती है, जो हमारी आजीविका का स्रोत हैं।
आध्यात्मिक विकास: गोवर्धन पूजा हमें आध्यात्मिक विकास की ओर ले जाती है, क्योंकि यह हमें भगवान कृष्ण की शिक्षाओं का पालन करने और अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाने के लिए प्रेरित करती है।
पर्यावरण संरक्षण: गोवर्धन पूजा पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती है, क्योंकि यह हमें पेड़-पौधों और जानवरों की रक्षा करने की याद दिलाती है।
सामाजिक समरसता: गोवर्धन पूजा सामाजिक समरसता को बढ़ावा देती है, क्योंकि लोग अपने मतभेदों को भूलकर एकत्र होकर पूजा करते हैं।
गोवर्धन पूजा हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और हमें अपने आसपास के वातावरण का सम्मान करने और भगवान कृष्ण की शिक्षाओं का पालन करने की याद दिलाती है।