सनातन पद्धति में घरों में नित्य पूजा, निकट के देवालयों में जाकर देव दर्शन करना महत्वपूर्ण कार्य है।
कई लोग नित्य पूजन की विधि से परिचित नहीं होते।आचार्य केशव प्रसाद बता रहे है नित्य पूजन के क्या हे नियम।
-प्रातः कालीन उठने से लेकर के सोने तक के नियम ठीक होना चाहिए।
-जब आप उठे तो भूमि मां को प्रणाम करें तथा हाथों का अवलोकन करें और चेहरे पर स्पर्श करें।
-स्नान ध्यान करने के बाद में मंदिर की साफ सफाई,पूजा के बर्तनों की साफ सफाई,जो कल के चढ़ाये हुए पुष्प,दूर्वा, बिल्वपत्र,धूप,दीप,आदि की राख है उसको एक निर्धारित स्थान पर रखें।
या जमीन में गाड़ दें या फिर जल में प्रवाहित कर दें।
-एक निर्धारित आसन रखे जिस पर आप प्रतिदिन बैठकर पूजन करे।
और अपने दाएं हाथ तरफ घी का या तिल का या अन्य किसी और वस्तु का दीपक जलाकर के रखे। और फिर अपने माथे पर रोली कुमकुम या चंदन का टीका लगाएं।
-और सर्वप्रथम अपने गुरुदेव भगवान को याद करें उनका स्मरण करें इसके बाद पूजन आरंभ करें!
पूजन भी भगवान श्रीगणेश जी की पूजन के माध्यम से आरंभ करें और अंतिम विराम भगवान विष्णु जी की पूजन से करे।
और धूप दीप आदि जलाकर मिष्ठान आदि अर्पित करने के बाद अंत में भगवान जी की आरती करें।
और पूजन करके उठने से पूर्व अपनी आसन के नीचे जल डालकर के ये मन्त्र बोले…
ॐ इन्द्राय नमः
कहकर जल को माथे से लगाएं।
-अगर संभव हो तो पूजा उपासना दोनों टाइम की जाए तो अति उत्तम है।
अगर नहीं हो पाती है तो प्रातः के प्रातः भी ठीक है
-पूजन अर्चन भोजन से पूर्व होना ही श्रेयस्कर है भोजन के उपरांत पूजा को निसफलदाई माना गया है।
-प्रयास ये रहना चाहिए कि आपकी पूजा और आपका ध्यान गुप्त होना चाहिए।
-आजकल ये चलन हो गया है की कहीं भी हम आप जाते हैं तो देवालयो में प्रवेश करने से पूर्व ही फोटो खींचना फेसबुक और व्हाट्सएप पर सेंड कर देना या स्टेटस पर डाल देना।
तो कृपया दर्शन से पूर्व ये सब न करे दर्शन उपरांत कर सकते है।
-आपने अपने भगवान और आप के व्यक्तिगत संबंधो को सर्वजनिक कर दिया इसलिए उसका फल भी सक्रिय हो गया।
-याद रहे अगर यह सब चीजें करनी भी है तो दर्शन करने के बाद ही करें पूर्व करेंगे दर्शन का लाभ आप पूर्णरूपेण नहीं ले पाएंगे।
दैनिक पूजा और आराधना में रखें इन बातों का विशेष ध्यान
SourcePhoto social media
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