नवरात्रि पर #बुंदेलखंड में #दुर्गा जी को आराधना और प्रसन्न करने #भक्त शेर बनकर नृत्य करते हे। बाजे पर शेर नृत्य की थाप सबसे अलग होती हे,जिसकी धुन और गति पर नृत्य किया जाता हे।यह नृत्य इतना #मशहूर हे कि अन्य कार्यक्रम में भी लोग शहर नृत्य जरूर करते हे।
रहली।-नवरात्र में ामॅ शेरावाली का दरबार सजे और शेर नृत्य ना हो एैसा संभव ही नही है खासकर बंुदेलखं ड में तो पारंपरिक और आध्यात्मिक रुप से शारदीय नवरात्रि पर होने वाला शेर नृत्य का्फी लोकप्रिय है।

नवरात्र पर शेर बनकर माॅ के समक्ष नाचने के लिये क्या बूढे क्या बच्चे सभी पीला कलर पोतकर नाचने को तैयार रहते है।पांच साल से पचास साठ साल के लोग शेर बनकर नाचते है। कोई श्रृद्धा से शेर बनकर नाचता है तो कोई मन्नत मांगकर शेर नृत्य करते है
कोई दस साल से लगातार शेर बनकर नृत्य कर रहा है तो किसी को एक दो साल ही हुये है तो किसी की पीडिया हो गई हे।एैसी मान्यता है कि शेर बनकर माॅ के समक्ष नृत्य करने से मुरादे अवश्य पूरी होती है लेकिन समय के साथ अब लोग श्रृद्धावश या खुशी से नृत्य करते है।
बीओ। पहले बूढ़े सयाने लोग ही शेर बनकर माता की आराधना करते थे।लेकिन समय के साथ बदलाव होता जा रहा हे।शेर बनने में बच्चों की रुचि अधिक हे। देखे खबर वीडियो लिंक पर क्लिक करे।
