
आज अन्नकूट उत्सव हे और गोवर्धन पूजा होती हे,कथा आती हे कि देवराज इंद्र को अभिमान हो गया था जिसे भगवान श्री कृष्ण ने तोड़ा। इसी संदर्भ में आज के परिवेश में देखे तो हर और छोटे छोटे पद पाकर व्यक्ति अभिमानी हो गया है। ग्लैमर,भोकाल,जलजला,जलवा, लाव लश्कर, फॉलोअर यह सभी शब्द रिश्ते में एक जैसे ही है,,,दुनिया में आया व्यक्ति जब दूसरों का भोकाल देखता हे,तो खुद भी वैसा रुतबा चाहता हे,,और कई लोग प्राप्त भी कर लेते हे,,,मानव स्वभाव हे और यह चाहना गलत भी नहीं हे, छोटे से छोटी जगह में लोग भोकाल और भोपाल चाहते है,उनमें कई लोग जो भोकाल जमा बैठे हे वह भोपाल में भोकाल चाहते हे,,,, अनेक लोग इसे पाने की हसरत लिए जीवन निकल गया,पर हासिल कुछ नहीं हुआ,कुछ को चंद समय के लिए भोपाल मिला,तो कुछ को सिर्फ भोकाल मिला,पर दोनों एकसाथ तो दुर्लभ हे और उसे ही मिलते हे जिसके नाम की पर्ची इन दोनों की जननी भाग्य निकाल दे,,,
लेकिन कुदरत ने जरा सा क्या नवाजा लोगों ने इसे विरासत समझ रखा है। और ऊपर से ऐसे दरबारी जो सिर्फ सत्ता के मीत हे वह नेता,अधिकारी को नवाबी डोज( हजूर सोकर उठिए,सूरज उगने की इजाजत मांग रहा है)
दे देकर वक्त से पहले निपटाने में लगे हुए है, प्रभु की माया बड़ी विचित्र हे,जब किसी को कोई दायित्व देते हे तो पात्र हो कि नहीं इसके फिल्टर भी साथ लगा देते हे,पास हो गए तो और बड़ी जिम्मेदारी मिल जाती हे,आउट हुए तो बेक टू पवेलियन जाना तय हे।
संभव हे यह बात लोगो के ऊपर से गुजर जाए,,,पर पूज्य मुनिवार सुधासगर जी महाराज ने महावीर स्वामी के मोक्ष कल्याणक दिवस पर आसान शब्दों में बताई और समझाई,की जब तक पुण्य हे सो रुतबा जलवा सब कायम हे,,,जिस दिन पुण्य समाप्त एक व्यक्ति साथ खड़ा नहीं मिलेगा।
