लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला आज भाग्योदय तीर्थ पहुंचे, जहां निर्यापक श्रमण मुनि पुंगव श्री 108 सुधा सागर जी महाराज को श्रीफल अर्पित किया तथा पाद प्रक्षालन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। तत्पश्चात वे मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज के 42 वें दीक्षा दिवस समारोह में शामिल हुए। उन्होंने मंच से सभी से उत्तम क्षमा मांगते हुए कहा कि जैन धर्म के दसलक्षण पर्व सादगी, नैतिकता तथा अहंकार समाप्ति के परिचायक हैं।
उन्होंने आचार्य गुरुवर श्री विद्यासागर जी महाराज को नमोस्तु करते हुए कहा कि विद्यासागर जी के संदेशों और सिद्धांतों से आध्यात्मिक, धार्मिक, सामाजिक जागृति के साथ ही देश के बड़े- छोटे लघु उद्योगों को बढ़ावा मिला है। उन्हीं के शिष्य मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज ने अपने तप, तपस्या और कठिन परिश्रम से समाज में एक नई चेतना का प्रवाह किया है। उनके द्वारा सामाजिक सरोकार के लिए किये जा रहे कार्य अंधकार में एक ज्योति के समान हैं। आज बुंदेलखंड की यह धरती धन्य हो उठी है जब चातुर्मास के माध्यम से 4 महीने तक आप सभी को मुनिश्री का सानिध्य प्राप्त हो रहा है।
मुनि श्री के मार्गदर्शन में अनेक जगह गौशाला, विद्यालय, अस्पताल, लघु उद्योगों की स्थापना जैसे पुण्यार्थ के कार्य किए गए हैं, जिससे अनेक व्यक्तियों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आया है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि मुनिश्री के सानिध्य में ही कोटा में बालिका छात्रावास, चिकित्सालय और गौशाला का निर्माण कराया गया हैं। वहां अध्यनरत छात्रों के जीवन में संस्कारों की नींव पड़ी, सात्विक विचार शामिल हुए। ऐसी पीढ़ी को तैयार करने का श्रेय मुनिश्री को जाता है। उन्होंने कहा कि मुनिश्री अपने जीवन में 60 हजार किलोमीटर की पैदल यात्रा कर चुके हैं। ऐसी तपस्या और परिश्रम करने वाले मुनिश्री का सानिध्य आप सभी को मिला यह आप सभी के लिए परम सौभाग्य की बात है।
भगवान महावीर के विचार आज और अधिक प्रासंगिक
लोकसभा अध्यक्ष श्री बिरला ने कहा कि देश और दुनिया में भगवान महावीर स्वामी के विचार आज और भी प्रासंगिक हो गए हैं। जैन धर्म जिस शांति , संभाव और अहिंसा का मार्ग बतलाता है , आज उसे दुनिया ने भी स्वीकारा है। महावीर स्वामी के विचारों को मुनि श्री सुधा सागर जी द्वारा आगे बढ़ाया जा रहा है।