देश भर में आज गणपति बप्प की पूरी श्रद्धा भाव से विदाई की जा रही है ,महानगर हो या छोटा सा गाँव सभी जगह हर्षोल्लास के साथ गणपति जी का पूजन अर्चन कर गाजे बजे नगाड़ों के साथ जल में विसर्जन किया जा रहा है , दस दिनों तक भक्तों की सेवा और पूजा लेने के बाद गणपति बप्पा भक्तों से विदा होकर अपने लोक लौटेंगे।अनंत चतुर्दशी पर नगर एवं ग्रामीण क्षेत्र में भक्तो द्वारा गणेश जी का पूजन अर्चन नदी तालाब में भक्तिभाव से विसर्जित किए गए।
ऐसे करें गणपति विसर्जन
हर पूजा-पाठ के बाद विसर्जन के कुछ नियम हैं। जल में देवी-देवताओं की प्रतिमा को विसर्जित किया जाता है। भक्त नदी, तालाब, कुंड, समुद्र में प्रतिमा को विसर्जित कर सकते हैं। जहां नदी, तालाब आदि नहीं हैं, वहां भक्त घर में भी किसी बड़े बर्तन में प्रतिमा विसर्जित कर सकते हैं। बस ध्यान रखना चाहिए कि इस जल से पैर न लगे। इस जल को विसर्जित प्रतिमा के गलने के बाद गमले में डाल सकते हैं। किसी भी देवी-देवता के विसर्जन की तरह गणपति के विसर्जन का भी नियम है।