गोलगप्पे नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है।एक वक्त था जब गोलगप्पे टाइम पास फास्ट फूड का साधन तो थे ही,जिन्हें क्या बूढ़े क्या बच्चे विशेष रूप से लड़कियों के सबसे पसंदीदा व्यंजन है।गोलगप्पे खाने से मन ही प्रसन्न नहीं होता था…वरन हाजमा भी ठीक रहता था।यहां तक कि किसी के मुंह में छाले हो जाए बदहजमी की वजह से तो गोलगप्पे सबसे सस्ती और सुलभ दवाई का काम करते थे। लेकिन अब हालात यह हे कि गोलगप्पे धीमा जहर बनकर स्वस्थ को बिगाड़ने का काम कर रहे है।

वजह स्वाद में नयापन लाने के लिए केमिकल का इस्तेमाल शहर हो या गांव सभी जगह किया जा रहा है।जबकि हकीकत यह हे कि पहले जो पानी बनाने में अमचूर/इमली और किचिन मसालों का प्रयोग होता था,वह देशी स्वाद अदभुत था। जो स्वास्थ की दृष्टि से फायदेमंद था।पर चटकारे की चाहत में लोग जानते हुए भी धीमा जहर गटकने पर आमादा है।
गोलगप्पे का इतिहास बहुत पुराना है।इसे अलग अलग जगहों पर अलग अलग नाम से जाना जाता है।

गोलगप्पे को भारत के अलग-अलग स्थानों पर कई नामों से जाना जाता है। यहाँ कुछ प्रमुख नाम दिए गए हैं:
- पानी पुरी: महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और नेपाल के कुछ हिस्सों में इसे “पानी पुरी” कहा जाता है।
- फुचका/पुचका: पश्चिम बंगाल, असम, झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ में इसे “फुचका” या “पुचका” के नाम से जाना जाता है।
- गुपचुप: ओडिशा, छत्तीसगढ़ और बिहार के कुछ क्षेत्रों में इसे “गुपचुप” कहते हैं।
- पताशी/पानी पताशी: राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में इसे “पताशी” या “पानी पताशी” भी कहा जाता है।
- फुल्की: पूर्वी उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश के कुछ भागों में इसे “फुल्की” के नाम से जाना जाता है।
- टिक्की: मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में गोलगप्पे को “टिक्की” कहा जाता है।
- पड़ाका: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में इसे “पड़ाका” भी कहते हैं।
ये नाम क्षेत्र और बोली के आधार पर बदलते रहते हैं, लेकिन इस स्वादिष्ट स्ट्रीट फूड का जादू हर जगह कायम रहता है!
