मप्र सागर।जिले के रहली नगर में अब सामान्य बीमारी में मरीज मेडिकल स्टोर से दवा लेकर काम चला रहे है,लोगो का कहना है कि मेडिकल से दस रुपए की खुराक में ठीक हो जाते है वही क्लिनिक पर जाओ तो सामान्य बीमारी में भी एक हजार से दो हजार रुपए का खर्च आ रहा है। सरकारी एवं प्रायवेट डॉक्टरों के द्वारा निजी क्लिनिक पर किए जा रहे महंगे ईलाज से आम इन काफी आक्रोश में नजर आ रहा है। और यह आक्रोश सोशल मीडिया पर बरस रहा है, बीते एक सप्ताह नगर के डॉ पर हो रही कार्यवाही को लेकर सोशल मीडिया में डल रही खबरों की पोस्टों पर नगर के लोग खुलकर महंगे इलाज को लेकर कमेन्ट कर अपनी बात रख रहे है। कमेंट में लोगों का कहना है जब से नगर की सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नगर से बाहर गया है तब से नगर के डॉक्टरों का इलाज काफी महंगा हो चुका है कोई भी छोटी से छोटी बीमारी क्यों ना हो उसका इलाज एक हजार से दो हजार रुपए का पड़ने लगा है सरकारी अस्पताल दूर होने ओर ओपीडी के समय निश्चित होने से लोगो मजबूरन निजी अस्पताल में इलाज करना पड़ रहा है जिसकी मजबूरी का फायदा डॉ के द्वारा उठाया जा रहा है जिस पर उनका कहना रहता है कि इलाज महंगा है तो मत कराए जबकि लोगों की समय की मजबूरी होती जो उनको इलाज कराना पड़ रहा है।
महंगे इलाज़ को लेकर यह लिख रहे कमेंट
एडवोकेट मनोरथ गर्ग लिख रहे है कि सरकारी अस्पताल फ्री तनख़ाह बांट रही है, कोई मिलता नहीं ऊपर से सस्ते इलाज की दुकानै बंद आम आदमी मारा जायेगा, निजी क्लीनिक में दो हजार से कम में इलाज नहीं मरेगा क्या आदमी,
अमित श्रीवास्तव लिख रहे कि वह दवाई कंपनियां और पैथोलॉजी से भी जांच होना चाहिए जिसे इलेक्ट्रिक बंद के नाम पर लाखों रुपए लिए गए हैं ₹15 की दवाई पर आखिर यह ₹350 किसने छपवाए यहां भी छापा डाला जाए पत्रकार जवाब मांगे सरकार से
कुलदीप राय लिख रहे है कि कल ही मैंने सरकारी अस्पताल में फ्री मैं दो बाटल लगवाए आराम मिला पर बुखार नहीं गया बुखार के ईलाज के लिए निजी अस्पताल गया आराम तो लगा, लेकिन बुखार के साथ साथ पैसौ मैं भी आराम लग गया 1700 रुपये में आराम लगा।
मनोहर लाल पटेल लिख रहे है कि रहली में तीन-चार डॉक्टर ऐसे हैं यदि किसी का मूड हाथ पांव में दर्द हो तो ढाई हजार रुपए की सिक्कम पैसे नहीं लगती है बट यदि चढ़ावाना हो तो 500 ₹700 केवल पानी की वोटर की लगती है इन पर भी उचित कार्रवाई होना चाहिए
प्रद्युम्न दुबे लिख रहे है कि इलाज के नाम पर मनमानी करते है, 100 की दवा 500 में देते है, अभी हाल फिलहाल में दस्तावेज बनवाने के लिए एक साइन के लिए मुझे 500 देने पढ़े, ये स्तर है लूटमार मचा रखी है, सरकार से भी पैसे ले रहे हैं और इलाज के नाम पर भी पैसे ऐंठ रहे, अपने अपने मेडिकल खुलवा लिए अगर उनके यहां से इलाज करवाओ तो वहीं से दावा लो, दवा पर्ची पर किस हिसाब से पैसे काटे गए इसकी भी कोई स्लिप नहीं, नैतिक मूल्यों के तो क्या ही कहने
