Sunday, December 22, 2024
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फसलों में कीट-रोग नियंत्रण के लिए,,सागर में दो दिवसीय आई.पी.एम. ओरिएंटेशन प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न


सागर भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केन्द्र मुरैना द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्र सागर में दो दिवसीय आई.पी.एम. ओरिएंटेशन प्रशिक्षण कार्यक्रम 05-06 सितम्बर को आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. एस के तिवारी, वैज्ञानिक एवं कृषि विज्ञान केन्द्र सागर, अतिथि श्री श्रीमती कुमुद कोरी, सहायक संचालक कृषि सागर और केन्द्र के प्रभारी अधिकारी सुनीत कुमार कटियार द्वारा द्वीप प्रज्जवलित कर किया गया।
केन्द्र के प्रभारी अधिकारी सुनीत कटियार द्वारा आई.पी.एम. इसके विभिन्न तकनीक जैसे सस्य, यांत्रिक, जैविक और रासायनिक विधियों का कमिक उपयोग और महत्ता के बारे में बताया। आईपीएम के महत्व, आईपीएम सिद्धांत एवं उसके विभिन्न आयामों सस्य, यांत्रिक जैसे येलो स्टिकी, ब्लू स्टिकी, फेरोमैन ट्रैप फलमवखी जाल, विशिष्ट ट्रैप ट्राइकोडर्मा से बीज उपचार के उपयोग के बारे में और जैविक विधि, नीम आधारित एवं अन्य वानस्पतिक कीटनाशक और रासायनिक आयामों के इस्तेमाल के विषय में विस्तार से बताया गया। उन्होंने कहा किसान फसलों में रासायनिक कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग कर रहे हैं। जिससे मनुष्यों में तमाम तरह की बीमारियां जैसे कैंसर इत्यादि बहुत तेजी से बढ़ा है। इसलिए हमें किसानों को जागरूक करना है कि रासायनिक कीटनाशकों को अनुशंसित मात्रा में ही उपयोग करें। साथ ही भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के एनपीएसएस (नेशनल पेस्ट सर्विजिलेंस सिस्टम) एप के उपयोग एवं महत्व की जानकारी दी गई।
श्री प्रवीण कुमार यदहल्ली वनस्पति संरक्षण अधिकारी द्वारा जिले में चूहे का प्रकोप एवं नियंत्रण और फॉलआर्मी वर्म के प्रबंधन, मित्र एवं शत्रु कीटों की पहचान के बारे में बताया गया।
श्री अभिषेक सिंह बादल, सहायक वनस्पति संरक्षण अधिकारी द्वारा जिले की प्रमुख फसलों के रोग और कीट तथा प्रबंधन, मनुष्य पर होने वाले कीटनाशकों का दुष्प्रभाव तथा कीटनाशकों का सुरक्षित और विवेकपूर्ण उपयोग, साथ ही साथ केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति द्वारा अनुमोदित रसायन का कीटनाशकों के लेवल एवं कलर कोड पर आधारित उचित मात्रा में ही प्रयोग करने का सुझाव दिया ।
कार्यक्रम के दौरान केंद्र के अधिकारियों द्वारा आईपीएम प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। जागरूकता के लिए कृषकों को फेरोमोन ट्रेप, ल्यूर जैविक कीट रोग नियंत्रण हेतु उपयोगी सामग्री जैसे बेबेरियाना, माइकोराइजा, ट्राइकोडरमा फल छेदक कीट नियंत्रण के लिए विशेष फेरोमोन ट्रेप इत्यादि भी सेंपल के रूप में दिए गए।
प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. एस के तिवारी, वैज्ञानिक एवं कृषि विज्ञान केन्द्र सागर, द्वारा प्राकृतिक खेती की ओर भी जागरूकता के बारे में बतलाया गया ।
कार्यक्रम के दूसरे दिन किसानों और कृषि क्षेत्र अधिकारी को खेत भ्रमण करा के कृषि पारिस्थितिकी तंत्र विश्लेषण के बारे में बताया गया। कार्यक्रम में 90 से अधिक प्रगतिशील किसानों और राज्य कृषि कर्मचारियों को प्रशि

Yogesh Soni Editor
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पत्रकारिता मेरे जीवन का एक मिशन है,जो बतौर ए शौक शुरू हुआ लेकिन अब मेरा धर्म और कर्म बन गया है।जनहित की हर बात जिम्मेदारों तक पहुंचाना,दुनिया भर की वह खबरों के अनछुए पहलू आप तक पहुंचाना मूल उद्देश्य है।
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