मप्र। कलेक्टर संदीप जी. आर. सागर के निर्देशानुसार डॉ. ममता तिमोरी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला सागर ने शीत लहर से बचाव संबंधी जानकारी में बताया कि शीत ऋतु मे वातावरण का तापमान अत्याधिक कम होने (शीत लहर ) के कारण मानव स्वास्थ्य पर अनेक विपरीत प्रभाव वृद्धजनों, गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति एवं 05 साल के छोटे बच्चों पर अधिक होता हैं इसके अतिरिक्त दिव्यांगजनों बेघर व्यक्तियों, दीर्घकालिक बीमारियों से पीडित रोगियों, खुले क्षेत्र में व्यवसाय करने वाले छोटे व्यवसायियों के लिए भी शीत लहर के दौरान विशेष सकर्तता बरतना आवश्यक हैं शीत लहर के प्रभाव जैसे सर्दी, जुकाम, बुखार, निमोनिया, त्वचा रोग, फेफडो मे संक्रमण, हाईपेथर्मिया, अस्थमा, एलर्जी होने की आशंका बढ़ जाती है यदि समय पर नियंत्रण न किया जाये, तो स्थिति गंभीर भी हो सकती है। प्रभावों से पूर्व बचाव हेतु समयानुसार उचित कार्यवाही की जाने की स्थिति में प्राकृतिक विपदा का सामना किया जा सकता है।

शीत लहर क्या है-
यदि किसी स्थान पर एक दिन या 24 घंटे में औसत तापमान में तेजी से गिरावट होती है एवं हवा बहु ठंडी हो जाती है उस स्थिति को शीत लहर कहते है।
शीतघात बचाव के लिये क्या करे एवं क्या न करे। शीत लहर की आशंका होने पर स्थानीय मौसम पूर्व अनुमान के लिये रेडिया / टीबी / समाचार पत्रों, सोशल मीडिया पर संदेश प्रेसंण जैसे मीडिया प्रकाशन का ध्यान रखे। फ्लू, बुखार, नाक बहना, भरीनाक, बंद नाक जैसी विभिन्न बीमारी की संभावना आमतौर पर ठंड में लम्बे समय तक संपर्क में रहने के कारण होती हैं अतः आवश्यक होने पर ही घर से बाहर निकले। शीतलहर में दीर्घकालीन बीमारियां जैसे-डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, श्वांस संबंधी बीमारियों वाले मरीज, वृद्धजन, 05 साल से कम आयु के बच्चे, गर्भवती महिलाएं आदि को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती हैं। शीत लहर एवं सर्द हवाओं के दौरान घरों में उपयोग किए जाने वाले हीटर / फायर पॉट आदि बंद कमरों में उपयोग करने के कारण कार्बन मोनोआक्साईड पाईजनिंग का खतरा होना संभावित हैं

शीतघात के दौरान –
शरीर को सूखा रखें शरीर के गर्माहट बनायें रखने हेतु अपने सिर, गर्दन, कान, नाक, हाथ, पैर की उगलियों को पर्याप्त रूप से रखें। शरीर को गर्म बनाये रखने के लिये टोपी, हेड, मफलर, जल रोधी जूतो को उपयोग करे। स्वास्थ्य वर्धक गर्म भोजन को सेवन करे। शीत प्रकृति के भोजन से दुर रहे। रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती विटामिन सी से भरपूर ताजे फल खाये गर्म तरल पदार्थ नियमित रूप से पिये बुजुर्ग, नवजात शिशुओं तथा बच्चों का यशासंभव अधिक ध्यान रखें।शीत लहर के संपर्क में आने पर शीत से प्रभावित अंगो के लक्षणों जैसे संवेदनशून्यता सफेद अथवा पीले पड़े हाथ एवं पैरों की उगलियां, कान की लौ तथा नाक की उपरी सतह का ध्यान रखें। अचेतावस्था में किसी व्यक्ति को कोई तरल पदार्थ न दे। शीत से प्रभावित अंगों को गुनगने पानी से इलाज करे। कंपकपी, बालने में दिक्कत, अनिन्द्रा, मासपेशियों की अकडन, सांस लेने में दिक्कत की अवस्था हो सकती है। जिसका तत्काल चिकित्सीय उपचार लेवे।
डॉ. ममता तिमोरी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला सागर ने आमजनों से अपील हैं कि उपरोक्त सुझावों का पालन करें, अपनी तथा अपने परिवार स्वास्थ्य की सुरक्षा की देखभाल करें ।
