संक्रांति के त्योहार पर बुन्देलखण्ड क्षेत्र में विशेष किस्म की मिठाई गड़िया घुल्ला रिश्तों में मिठास घोलने का काम आज भी करते है।मूलतः सिर्फ शक्कर से निर्मित होने वाली मिठाई जिसे बुंदेलखंड में गाड़िया घुल्ला कहा जाता है। इन्हें संक्रांति के पर्व पर भगवान को तिल के लड्डू के साथ अर्पित किया जाता है।साथ इन गाड़िया घुल्लो को बेटियों के ससुराल भी भेजने की प्राचीन परंपरा है। लोगो का मानना है कि इस परंपरा से बेटी के ससुराल और मायके के संबंधों में प्रेम और स्नेह गहरा होता है।

शक्कर की चाशनी से रिश्तों में मिठास घोलने वाले गाड़िया घुल्ला बनाने की परंपरा बुंदेलखंड क्षेत्र काफी प्राचीन काल से चली आ रही है।आधुनिकता के वर्तमान दौर में इस परंपरा में कमी जरूर आई है लेकिन ग्रामीण परिवेश में यह आज भी जारी है।

बुंदेलखंड अंचल में मकर संक्रांति के पर्व पर रिश्तों में मिठास घोलने की एक अनोखी परंपरा है।प्राचीन काल से चली आ रही परंपरा के अनुसार मकर संक्रांति के पर्व पर रिश्तेदार एक दूसरे के घरों में विभिन्न प्रकार ले लड्डुओं के साथ शक्कर से बनी एक विशेष प्रकार की मिठाई जिसे बुंदेली भाषा मे गडिया घुल्ला कहते है भेंट स्वरूप भेजते है।बुंदेलखंड के ग्रामीण अंचलों में रिश्तों में मिठास घोलने की सदियों पुरानी यह परंपरा आज भी कायम है।

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मिठाई बनाने वाले रिंकू नेमा ने बताया कि गडिया घुल्ला का निर्माण मकर संक्रांति से लेकर बसंत पंचमी तक किया जाता है।गडिया घुल्ला का निर्माण शक्कर से किया जाता है।शक्कर की चासनी बनाकर इसे हाथी,घोड़ा,ऊंट,बंदर,आदि की आकृति के सांचो में ढाला जाता है।
