परीक्षा एक ऐसा शब्द है जो जीवन का पर्याय है। जिंदगी की किताब के हर पन्ने पर परीक्षा की इबारत ही लिखी है।हर कदम पर व्यक्ति परीक्षा ही दे रहा होता है विषय,हालात,अलग हो सकते है। परीक्षा का स्वरूप अलग हो सकता है,जरूरी नहीं कि हर बार परीक्षा कठिन हो या सामने आए सवाल कठिन हो।गर्भ से ही परीक्षा का दौर शुरू हो जाता है जो जीवन पर्यंत चलता रहता है।दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जिसे पल पल परीक्षा नहीं देनी पड़ती हो।अब जब पूरा जीवन ही परीक्षा है, अनुभव के आधार पर जिंदगी के सवालों के जवाब लिखे जाते है।

फिर किसी भी परीक्षा से क्या घबराना।फिर चाहे वह मजदूर हो,सेठ साहूकार, बिजनिश मेन,नेता या सर्वोच्च पद ही क्यों ना प्राप्त हो, वहां तक पहुंचने में हजारों बार परीक्षा के दौर से गुजरे बिना मंजिल प्राप्त नहीं होती,तो वही मजदूर भी दो जून की रोटी के लिए मेहनत के अक्षरों से गरीबी के के सवाल ही हल कर रहा होता है,नेता विधायक,मंत्री सब चुनाव लड़कर परीक्षा ही तो देते है, जिनका बिल पॉवर कम होता है वह घबरा जाते है,और जिनका अधिक होता है वह कई बार फेल होकर भी नए जोश के साथ अगली तैयारी में जुट जाते है।

फिलहाल बोर्ड परीक्षाएं आने वाली है।विद्यार्थी बोर्ड का नाम सुनकर ही बैचेन हो जाते है,यह बैचेनी पेपर की तैयारी कमजोर करती है,ऊपर से अभिभावकों की अपेक्षाएं का दबाव भी छात्र छात्राओं के सिर पर रहता है जो उन्हें और कमजोर करता रहता है।अभिभावकों और गुरुजनों को ध्यान देना होगा कि परीक्षा का हौवा नहीं बनाए,क्योंकि किशोर अवस्था के बच्चे मानसिक रूप से परिपक्क नहीं होते उन्हें मोटिवेशन की जरूरत होती है।छात्रों को बताए यह परीक्षा अब तक हुई पढ़ाई और प्राप्त ज्ञान का सिर्फ एक पैरामीटर है जिससे पता चलता है कि अब तक प्राप्त ज्ञान में निपुण हुए या नहीं,इससे अधिक कुछ नहीं है।

सागर कलेक्टर संदीप जी आर ने भी जिले के सभी विद्यार्थियों के माता-पिता से अपील की है कि अपने-अपने बच्चों का पूरा ध्यान रखें एवं किसी भी प्रकार का तनाव न दें और उनकी हर संभव मदद करें। विद्यार्थियों के कठिनाई को हल करने के लिए उनको मार्गदर्शन प्रदान करें।

