आखिर हर माता पिता का सपना बच्चों को कलेक्टर बनाने का ही क्यों होता है… नेता, विधायक,सीएम क्यों नहीं…?
हर माता पिता का सपना होता है उनके बच्चे बड़े होकर कलेक्टर बने,और संयोग देखिए बच्चों का सपना भी कलेक्टर बनना ही होता है।आखिर क्यों..? आज तक कभी नहीं सुना किसी माता पिता ने विधायक,नेता,सीएम,पीएम अपने बच्चों को बनाने की मन्नत मांगी हो,या ख्वाइश की हो।

इसे समझने के लिए मनोभावों को समझना होगा,की कलेक्टर अथवा समकक्ष एसपी ही क्यों इनसे अधिक महत्तपूर्ण पद और भी है, कलेक्टर का सपना ही जनमानस में दिव्य स्वप्न की तरह व्याप्त है। इसे समझने
थोड़ा और पीछे देखे तो अंग्रेजों के जमाने से कलेक्टर मतलब शूट, बूट,बंगला,गाड़ी,नौकर चाकर और पूरे जिले में जलवा… उस समय से मतलब पूर्वजों के जमाने से कलेक्टर के जलवे की धाक हमारे डीएनए में बसी हुई है।कलेक्टर का जितना जलवा और रुतबा हर आदमी के नालेज में होता है उतना अन्य किसी पोस्ट का नहीं होता है।वजह अन्य पोस्ट के अधिकारी आम जनता के करीब नहीं होते। कलेक्टर गांव गांव पहुंचता है पर अन्य बड़े पदों पर बैठे लोग एयर कंडीशन में बैठे सिर्फ योजनाएं बनाने और हुक्म की तामील करवाने में लगे रहते है।यही वजह है छोटे से छोटे गांव का बच्चा भी कलेक्टर के नाम से वाकिब होता है।
आमतौर पर समाज में कहावत भी प्रसिद्ध है “अपने आप को कलेक्टर ने समझो”कहने का तात्पर्य कलेक्टर शब्द लोगों के दिमाक में घर कर गया है।आम जीवन में कलेक्टर का रुतबा जनमानस के लिए दिव्य स्वप्न होता है।
हाल ही में सागर कलेक्टर निरीक्षण के दौरान खुरई के ग्राम बनहट स्थित पीएम श्री शा.एकी.मा.शा. विद्यालय पहुंचे और बच्चों से पूछा कि आप में से किसकों क्या बनना है,तो अधिकांश बच्चों ने बेबाकी से जवाब देते हुए कहा साहब हमें भी कलेक्टर बनना है। कुछ ने डॉक्टर, और पुलिस बनने की भी इच्छा बताई। कुछ यह सोचकर एसडीएम कह गए कि थोड़ी बहुत कमी रही तो एसडीएम या तहसीलदार तो बन ही जाए।
लेकिन हकीकत में देखे तो हर बच्चे को कलेक्टर बनना है, पर क्यों बनना है..? शायद किसी के पास जबाव नहीं होगा। रटा रटाया जबाव मिलेगा देश सेवा करने के लिए,लेकिन मूल बात सिर्फ उस रुतबे की है बाकी सुधि पाठक सब जानते है कि कोई भी अभिभावक अपने बच्चों को नेता,विधायक, सीएम क्यों नहीं बनाना चाहते।
