Sunday, October 26, 2025
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VANARAS या हरिद्वार नहीं, ये सागर में लाखा बंजारा झील पर गंगा आरती का नजारा है

सागर नगर में लाखा बंजारा झील किनारे सोमवार को गंगा आरती का नजारा बनारस और हरिद्वार में की जाने वाली गंगा आरती से कम न था। संध्याकालीन समय दिन ढलने से पहले लाखा बंजारा झील के पानी में ऐसी लहरे उठ रहीं थीं मानो स्वयं गंगा जी की लहरें हों। झील किनारे उपस्थित सभी देखने वाले अचंभित थे। नागरिकों ने लहरों के वीडियो भी बनाये। दिन ढलने के बाद शाम के समय आरती प्रारम्भ होते ही घाट पर पैर रखने के लिये जगह न थी।

महिलाओं बच्चों, बुजुर्ग और युवाओं सहित बड़ी संख्या में नागरिकों सहित आगनतुक आरती में शामिल हुये।ढपला-रमतुला, ढोल-नगाड़े की धुन और उज्जैन के डमरू दल की जोरदार आवाज़ के बीच गंगा आरती प्रारम्भ की गई। पुजारीयों ने आरती के दौरान शंख की ध्वनि से वातावरण में ऊर्जा का संचार कर सभी को आरती का संकेत दिया। धूप, गूगल, शुद्ध घी आदि के सुगंधित धुएँ ने वातावरण में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार कर सुगंधित किया। नागरिकों ने हर्ष-उल्लास के साथ इस आयोजन में शामिल होकर इसे यादगार बनाया।

झील किनारे छतरीयों, गाजीवो पर लोकनृत्य, शहनाई की धुन सहित सितार के मंत्रमुग्ध करने वाले संगीत ने आगंतुकों को आनंदिता किया* *स्थानीय कलाकारों को मिला समृद्ध मंच

चकराघाट से गणेशघाट तक 400 मीटर में फैले विशाल घाट पर कई हजार श्रद्धालु नगरवासियों सहित दूर-दूर से गंगा आरती देखने आये आगनतुक दोपहर 3 बजे से आरती का इंतजार करते हुये विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का आंनद ले रहे थे। नगर निगम आयुक्त सह कार्यकारी निदेशक सागर स्मार्ट सिटी श्री राजकुमार खत्री के निर्देश पर की गई गंगा आरती की विभिन्न तैयारियों में झील किनारे चकराघाट से प्रारम्भ पहली बड़ी छतरी पर लोकनृत्य बरेदी व शेर नृत्य की प्रस्तुति, दूसरी छतरी पर सपेरा जाति समूह का विश्वप्रसिद्ध कालबेलिया नृत्य, नौरता नृत्य, तीसरी छतरी पर बधाई लोकनृत्य, चौथी छतरी पर शहनाई की धुन आगंतुकों को आकर्षित कर रही थी।

अष्टसखी जी मंदिर के पास बने गजीवो पर कृष्णलीला रास की प्रस्तुति देखकर दर्शक मोहित होकर स्तब्ध दिखे। नवग्रह मंडपम और अष्टसखी मंदिर के बीच बने मंच पर जयपुर के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत शास्त्रीय तंत्र वाद्ययंत्र सितार, संतुर आदि से गानों की धुन ने ऐसा समा बांधा की देखने वाले झूमने लगे।

नवग्रह मंडपम से विट्ठल मंदिर की ओर बने मंच पर प्रसिद्ध ढिमरयाई गायक चुन्नीलाल और उनकी टीम ने समा बांधा और दर्शकों को अपनी ओर खींचा। झील किनारे ऐतिहासिक घाटों का सुंदर कायाकल्प अनेक स्थानीय कलाकारों को एक समृद्ध मंच प्रदान कर रहा है। सोमवार की यह प्रस्तुति कलाकारों को एक माला में पिरोने का कार्य कर रही थी।

Yogesh Soni Editor
Yogesh Soni Editorhttp://khabaronkiduniya.com
पत्रकारिता मेरे जीवन का एक मिशन है,जो बतौर ए शौक शुरू हुआ लेकिन अब मेरा धर्म और कर्म बन गया है।जनहित की हर बात जिम्मेदारों तक पहुंचाना,दुनिया भर की वह खबरों के अनछुए पहलू आप तक पहुंचाना मूल उद्देश्य है।
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