
प्रतिवर्ष 15 अगस्त को प्रत्येक भारतवासी, स्वतंत्रता दिवस का महान राष्ट्रीय पर्व, बड़े गर्व, उत्साह एवं सम्मान के साथ मनाते हैं। यह दिन केवल एक राष्ट्रीय अवकाश नहीं है, बल्कि आजादी, आत्मसम्मान एवं देशभक्ति का प्रतीक है। इस दिन का महत्व प्रत्येक भारतीय के हृदय में विशेष स्थान रखता है, क्योंकि यह हमारी पराधीनता से मुक्ति एवं एक स्वतंत्र लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में भारत के नवनिर्माण की याद दिलाता है। भारत, लगभग 200 वर्षों तक ब्रिटिश शासन के आधीन रहा। 1757 की प्लासी की लड़ाई के बाद से अंग्रेजों ने धीरे-धीरे भारत पर आधिपत्य करना आरंभ किया था और भारत की सम्पदा का शोषण किया। इससे भारतीय समाज, राजनीति, संस्कृति एवं अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ा था। 19 वीं शताब्दी के मध्य से भारतीयों में ब्रिटिश शासन के खिलाफ असंतोष बढ़ने लगा। 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम, जिसे सिपाही विद्रोह भी कहा जाता है, ने आजादी की नींव रखी थी। हालांकि यह विद्रोह असफल रहा, पर इसने देश के कोने-कोने में आजादी की चिंगारी जला दी थी। 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन हुआ था, जिससे धीरे-धीरे देश भर में राजनीतिक चेतना बढ़ गई। बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, विपिनचन्द्र पाल जैसे नेताओं ने स्वराज्य की माँग शुरू की। 20 वीं सदी के प्रारम्भ में महात्मा गाँधी जी ने स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी थी। उन्होंने सत्याग्रह एवं अहिंसा के सिद्धान्तों को अपनाकर लोगों को ब्रिटिश सरकार के खिलाफ खड़ा किया। उनके नेतृत्व में कई जन आंदोलन हुये जैसे असहयोग आंदोलन (1920), नमक सत्याग्रह और दांडी यात्रा (1930), भारत छोड़ो आंदोलन (1942), इन आंदोलनों ने भारतीय जनतंत्र को एकजुट किया और ब्रिटिश शासन की नींव हिला दी।

जहाँ एक ओर गाँधीजी अहिंसात्मक मार्ग पर चल रहे थे, वहीं दूसरी ओर कई क्रांतिकारी, सशक्त क्रांति के रास्ते पर आगे बढ़े। भगतसिंह, चंद्रशेखर आजाद, राजगुरु, सुखदेव, वीरसावरकर जैसे महान क्रांतिकारियों ने आजादी के लिए अपने जीवन की आहूति दी, जिनका देश के लिए बलिदान हमें हमेशा स्मरण रहेगा। इसके अलावा नेताजी सुभाषचंद्र बोस एवं उनकी आजाद हिन्द फौज ने देश के बाहर से आजादी की लड़ाई को समर्थन दिया और अंग्रेजों को यह संदेश दिया कि भारत हर हाल में स्वतंत्र होगा।

द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् ब्रिटिश शासन कमजोर पड़ चुका था। भारत में बढ़ते जन आंदोलन एवं अंग्रेजों पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव के चलते अंततः 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्रता मिली। यह दिन इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय बन गया है। इसी दिन पं. जवाहरलाल नेहरु ने दिल्ली के लाल किले से तिरंगा फहराया और भारत को एक संप्रभु राष्ट्र घोषित किया।
स्वतंत्रता दिवस का महत्व हम सभी को समझना होगा, क्योंकि हम भारतवासी पराधीनता से मुक्ति की ओर आये है। यह दिन हमें उन वर्षों की गुलामी, संघर्ष एवं बलिदानों की याद दिलाता है। यह राष्ट्रीय पर्व भारत की एकता, अखंडता और विविधता में एकता का प्रतीक है। यह दिन हमें देश की सेवा और विकास में भागीदारी के लिए भी प्रेरित करता है। लोकतंत्र की नींव हमें याद दिलाता है कि आजादी केवल अधिकार नहीं, बल्कि कर्तव्य भी है एक उत्तरदायित्व है जिसे हमें निभाना है। सन् 1947 से लेकर आज तक प्रतिवर्ष 15 अगस्त को भारत के प्रधानमंत्री, दिल्ली के लाल किले से बड़े ही गर्व से तिरंगा फहराते हैं एवं राष्ट्र को संबोधित करते हैं। पूरे देश में सरकारी दफ्तरों, स्कूलों और सभी संस्थानों में झंडा रोहण, राष्ट्रगान और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। स्कूलों में देशभक्ति गीत, कवितायें व नाटक प्रस्तुति भी होती है। भारत में स्वतंत्रता संग्राम की याद में एवं देशभक्ति की भावना को जन-जन तक पहुँचाने के लिए, “घर-घर तिरंगा” अभियान की शुरूआत की गई है। यह अभियान न सिर्फ हमारे राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान को बढ़ावा देता है, बल्कि प्रत्येक घर के नागरिक को यह अहसास कराता है कि वह देश की एकता, अखंडता और गौरव का हिस्सा है। “घर-घर तिरंगा” अभियान का मुख्य उद्देश्य भारत के प्रत्येक नागरिक को तिरंगे के प्रति सम्मान एवं गर्व का अनुभव कराना है। जब हर घर पर राष्ट्रीय ध्वज लहराता है, तो वह सिर्फ एक ध्वज नहीं होता, बल्कि वह हमारी आजादी, हमारे पूर्वजों के बलिदान एवं हमारी सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक होता है।

हमारा राष्ट्रीय ध्वज “तिरंगा” का महत्व तीन रंगों में बसा है- केसरिया (ऊपरी पट्टी): साहस और बलिदान का प्रतीक है। सफेद (बीच की पट्टी) : शांति और सत्य का प्रतीक है। हरा (निचली पट्टी) समृद्धि और विकास का संकेत, साथ ही बीच में बना अशोक चक्र न्याय और गति का प्रतीक है। जब पूरे देश में करोड़ों लोग अपने घरों पर तिरंगा फहराते हैं, तो वह दृश्य एकता, समानता एवं देशभक्ति का अद्भुत उदाहरण बन जाता है।

आज के परिपेक्ष्य में स्वतंत्रता दिवस
आज के आधुनिक युग में, जब हम तकनीकी और वैश्विक विकास की ओर बढ़ रहे है, स्वतंत्रता दिवस का अर्थ सिर्फ उत्सव तक सीमित नहीं रह गया, आज यह आत्म-मंथन और राष्ट्र निर्माण का अवसर बन गया है। आजादी का अर्थ केवल विदेशी शासन से मुक्ति नहीं है, बल्कि यह हर नागरिक के लिए गरिमा, अधिकार और जिम्मेदारी की भावना से जुड़ा हुआ है। आज के समय में सच्ची स्वतंत्रता तब मानी जाती है, जब प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मिल रही है।

स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर हमें नवजागरण की आवश्यकता है एवं हमें उस भारत का निर्माण करना है, जिसका सपना हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने देखा था। हमें आत्मनिर्भर भारत, हरित भारत एवं समानता पर आधारित समाज की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे। यह दिन हमें प्रेरित करता है कि हम केवल स्वतंत्र नागरिक न बनें, हमें सजग, उत्तरदायी एवं देश प्रेम से पूर्ण स्वरूप से व्याप्त नागरिक की जिम्मेदारी निभानी है। यह स्वतंत्रता हमें लाखों बलिदानों के बाद मिली है।
स्वतंत्रता दिवस की आधिकारिक थीम “विकसित भारत” है। यह थीम -2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र में बदलने के लिए सरकार के दृष्टिकोण का प्रतीक है। यह थीम बुनियादी ढाँचे, प्रौद्योगिकी, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सेना जैसे प्रमुख क्षेत्रों में ध्यान केन्द्रित करता है। आईये इस आजादी का सम्मान करें और हर घर में तिरंगा फहराकर राष्ट्र प्रेम की भावना को और सशक्त करें। यह पर्व हमारे आत्म गौरव एवं राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक हैं, वह हमें इसे सुरक्षित एवं संरचित भी करना है। हमें अपने कर्तव्य को निभाते हुए एक सशक्त, समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत को निर्माण करना होगा। “देश के लिए मर मिटने वालों को प्रणाम स्वतंत्रता को बनाये रखना ही है हमारा कर्तव्य। ।। जय हिन्द, जय भारत ।। वन्दे मातरम्
