रहली के इतिहास को; ब्रिटिश शासन काल में 1827 से 1833 तक रहली जिले के रूप में रही है स्थापित हली के नामकरण के संबंध में अनेक किवदंतियां प्रचलित है। एक तो राहुल ऋषि की तपोस्थली के रूप में जानी गई। लेकिन पौराणिक और धार्मिक ग्रंथों में इस बात की पुष्टि नहीं है। ऐतिहासिक विवरण में दूसरे मतानुसार 900 से 915 ई में चंदेल नरेश राहिल के नाम पर इस नगर का नाम रहली पड़ा। यह मत भी विवादास्पद रहा है। तीसरे मत के अनुसार रहली का पूर्व नाम रह स्थली था। क्योंकि यह राम रहस्य से भरी थी। गुणाकर जी ने रह स्थली शब्द का प्रयोग किया है। धार्मिक रहस्यों से परिपूर्ण रहस्य स्थली संक्षिप्त रूप में रहली बन गई। इतिहासकार प्रो. एसएम पचौरी ने अपनी किताब रहली तहसील का ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक परिदृश्य में इन तथ्यों का उल्लेख किया है।

रहली जिला रही है- स्वाधीनता के पूर्व ब्रिटिश काल में जहां भारत के राज्य रियासतों नगर संभागों और जिले की सीमाओं में परिवर्तित होता रहा है। वहीं रहली इस परिवर्तन में अछूती नहीं रही है। रहली विकास की परंपराओं में शासन प्रशासन की दृष्टि से विस्तार और संकुचन की ओर उत्मुख रही है। अंग्रेजी शासनकाल में 1827 से 1833 तक रहली एक जिले के रूप में स्थापित रही है। जिसे कृत्रिम रूप से नए जिले का सदर मुकाम बना दिया गया था। सागर संभाग में रहली प्रमुख जिला था।

उस दौर में सागर संभाग में रहली एक प्रमुख जिला था। इसमें तेजगढ़, हटा, दमोह, गढ़ाकोटा, देवरी, गौरझामर, नाहरमउ आदि परगने शामिल थे। वर्तमान में सभी स्थान एक जिले या तहसील के रूप में मानचित्र पर चित्रांकित हो गए है। सागर में कमिश्नरी थी उसी में रहली जिला लगता था। अब रहली जिला टूट गया और तहसील मुकाम हो गया।
जिले की सबसे बड़ी तहसील रही रहली
जिले के बाद जब रहली तहसील में परिवर्तित हुई तो बंडा, खुरई, बीना, रहली की तुलना में रहली का क्षेत्रफल अधिक होने से मुख्य तहसील का दर्जा प्राप्त हुआ। रहली तहसील का विस्तार दक्षिण में देवरी, महराजपुर, सहजपुर, रसेना नरसिंहपुर जिला की उत्तरी सीमा तक। उत्तरपूर्वी में गढ़ाकोटा, रोन कुमरई से दमोह जिले की सीमा। पश्चिम दक्षिण पश्चिम में बरकोटी, टड़ा नाहरमउ रायसेन जिले की सीमा।

2 अक्टूबर 1953 को रहली की स्थापना
आजादी के बाद हुए प्रशासनिक फेरबदल में 2 अक्टूबर 1953 को रहली विकास खण्ड की स्थापना हुई। आज रहली एवं गढ़ाकोटा संयुक्त रूप ये विकासखंड है। जो समुद्र तल से 401,42 मीटर की उंचाई पर स्थित है।
1981 की जनगणना में थे 691 गांव
रहली तहसील में 1981 की जनगणना के अनुसार 691 गांव थे। क्षेत्रफल 23465 वर्ग किमी था। कुल जनसंख्या 2 लाख 56 हजार 449 में से 1 लाख 33 हजार 865 पुरुष, 1 लाख 22 हजार 584 महिलाएं थीं।

1983 में देवरी 1987 में गढ़ाकोटा हुआ पृथक
जिले के रूप में स्थापित होने के 100 साल बाद प्रशासनिक दृष्टि से रहली का संकुचन एक बार फिर 1983 में हुआ। रहली का विभाजन कर देवरी को पृथक तहसील के रूप में निर्मित किया गया। जिससे दक्षिणी हिस्सा अलग हो गया। उसके फिर 1987 में रहली के उत्तरी क्षेत्र गढ़ाकोटा को एक नवीन तहसील के रूप में विभाजित किया गया।

