Sunday, October 26, 2025
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#उन्नति भौतिक हो या आध्यात्मिक,पूर्ण समर्पण के बिना संभव नहीं।

लेखक– योगेश सोनी

बात चार दिन पुरानी हे, सुबह सुबह फोन को घंटी लगातार बज रही थी। देर तक घंटी बजने से नींद टूटी तो फोन के डिस्प्ले पर हमारे चेनल स्वराज एक्सप्रेस के इनपुट का नंबर दिख रहा था, इतनी सुबह इनपुट से फोन आना मतलब क्षेत्र में कही कोई बड़ी खबर हे जिसकी सूचना भोपाल तक पहुंच गई पर मुझे नहीं पता,ऐसे तमाम सवाल मन में आए,जैसा कि हर बार होता है।खैर फोन उठाया तो खुशखबरी मिली कि रहली से तीन छात्रों का लोक सेवा आयोग में चयन हो गया ,और इनका इंटरव्यू करके अभी भेजना हे।जिसमें एक
हमारे मार्गदर्शक एडवोकेट मनोरथ गर्ग के द्वितीय पुत्र अक्षय गर्ग भी हे जिन्होंने लोक सेवा आयोग में चयनित होकर सीएमओ का पद हासिल किया हे,दूसरे अर्पित जैन चांदपुर,तीसरे सपन जैन पटना बुजुर्ग।

सुबह उठते ही खुश खबरी मिल जाए तो दिन शानदार होता हे।कई जगह संपर्क करने पर पता चला कि अक्षय तो रहली में नहीं हे, वकील साब का फोन ही नहीं उठ रहा था। अचानक। वृंदावन ग्रुप के सहयात्री दिलीप तिवारी जी मिल गए उनसे नंबर लेकर अक्षय से फोन पर बात की,सबसे पहले बधाई दी,अक्षय ने बताया कि वह इंदौर हे और रविवार को लौटेंगे। ।तत्काल इनपुट पर बताया,लेकिन इनपुट से कहा गया कुछ इंतजाम करो,तभी आइडिया आया अक्षय का फोनो करवा दिया जाए।बाकी फोटो आदि भेज दी थी।इनपुट की सहमति पर अक्षय को फोनो की जानकारी देकर इनपुट को अक्षय का नंबर भेज दिया ताकि लाइव बात हो सके।अब नंबर था अर्पित जैन का,तो उनके भाई हर्षित जैन से संपर्क करने पर पता चला वह गौशाला में है। गौ शाला पहुंचकर मित्र सहदेव घोषी के सहयोग से उनसे आन कैमरा चर्चा की।अर्पित के बड़े पिताजी राकेश जैन से भी बातचीत हुई।पूरी बातचीत स्वराज पर प्रमुखता से दिखाई गई।
अर्पित ने अपनी सफलता का मूलमंत्र जो बताया वह हर जगह लागू होता है।उन्होंने बताया कि संमर्पण भाव जरूरी हे।अब यह तो भौतिक उन्नति की बात थी।लेकिन हम आध्यात्मिक क्षेत्र में भी देखे तो यहां भी पूर्ण संमर्पण भाव के बिना आध्यात्मिक उन्नति भी नहीं हो सकती।
वृंदावन यात्रा के दौरान हमने सर्वाधिक समर्पण भाव आदरणीय मनोरथ वकील साब में देखा,को कैसे गोवर्धन के एक एक वृक्ष से गले मिलते है,परिक्रमा में कैसे मगन होकर नाचते है।दंडौती परिक्रमा करने वाले हर श्रद्धालु के पैर पकड़ कर आशीर्वाद लेते है।यह भाव भक्ति यात्रा में तेज रफ्तार पकड़ता है।
कहते हे,
” बाड़े पुत्र पिता के धर्मा,खेती बाड़े अपने कर्मा।
कहने का आशय बच्चों की सफलता में उनकी मेहनत के साथ उनके पिता का मार्गदर्शन और उनके धर्म पुण्य की ताकत भी सहयोगी रही है। निश्चित रूप से बच्चों की उन्नति में उनकी मेहनत के साथ माता पिता का आशीर्वाद,उनका पुण्य,धर्म की बड़ी भूमिका रहती है। संतों के द्वारा कहा भी जाता हे कि भाग्य और मेहनत जब तक दोनों की चाबी एक साथ नहीं लगती,किस्मत का ताला नहीं खिलता।

(लेखक खबरों की दुनिया के संपादक हे,और मप्र सरकार से अधिमान्यता प्राप्त है)

Yogesh Soni Editor
Yogesh Soni Editorhttp://khabaronkiduniya.com
पत्रकारिता मेरे जीवन का एक मिशन है,जो बतौर ए शौक शुरू हुआ लेकिन अब मेरा धर्म और कर्म बन गया है।जनहित की हर बात जिम्मेदारों तक पहुंचाना,दुनिया भर की वह खबरों के अनछुए पहलू आप तक पहुंचाना मूल उद्देश्य है।
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